नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जून, 2024 को वाराणसी में कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाणपत्र प्रदान किया. कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को महसूस करते हुए और ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 30 अगस्त, 2023 को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इस के तहत कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम एक महत्वाकांक्षी पहल है.
यह है कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम
‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का उद्देश्य है. उसी का एक आयाम है कृषि सखी. कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि सखियों को प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट प्रदान करने के साथसाथ “कृषि सखी” को “कृषि पैराएक्सटेंशन सहायक” बनाना है. कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम “लखपति दीदी” कार्यक्रम के उद्देश्यों को भी पूरा करता है.
कृषि सखियों को कृषि पैराएक्सटेंशन कार्यकर्ता प्रशिक्षिण के लिए क्यों चुना गया है?
कृषि सखियों को कृषि पैराएक्सटेंशन कार्यकर्ता प्रशिक्षिण के लिए इसलिए चुना गया है, क्योंकि वे विश्वसनीय सामाजिक कार्यकर्ता और अनुभवी किसान हैं. कृषक समुदाय की उन की गहरी समझ के कारण ही इस समुदाय में उन का स्वागत और सम्मान भी किया जाता है.
कृषि सखियों को इन विषयों पर किया जा रहा है प्रशिक्षित
कृषि सखियों को निम्नलिखित मौड्यूल पर 56 दिनों के लिए विभिन्न विस्तार सेवा पर पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है :
– भूमि की तैयारी से ले कर फसल काटने तक कृषि पारिस्थितिक अभ्यास
– किसान फील्ड स्कूलों का आयोजन
– बीज बैंक की स्थापना एवं प्रबंधन
– मृदा स्वास्थ्य, मृदा और नमी संरक्षण प्रथाएं
– एकीकृत कृषि प्रणाली
– पशुधन प्रबंधन की मूल बातें
– बायोइनपुट की तैयारी, उपयोग एवं बायोइनपुट दुकानों की स्थापना
– बुनियादी संचार कौशल
अभी ये कृषि सखियां मैनेज और डे-एनआरएलएम के माध्यम से प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण ले रही हैं.
प्रशिक्षण के बाद कृषि सखियों के पास रोजगार के लिए उपलब्ध होंगे यह विकल्प
प्रशिक्षण के बाद कृषि सखियां एक दक्षता परीक्षा देंगी. जो सखियां उत्तीर्ण होंगी, उन्हें पैराविस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जाएगा, जिस से वे निर्धारित संसाधन शुल्क पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की गतिविधियां करने में सक्षम होंगी. औसत कृषि सखी एक वर्ष में 60,000 से 80,000 रुपए तक कमा सकती हैं.
कितनी संख्या में कृषि सखियों को किया गया प्रमाणित
आज तक 70,000 में से 34,000 कृषि सखियों को पैराविस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है.
इन राज्यों में शुरू किया गया ‘कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम’
‘कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के प्रथम चरण में 12 राज्यों को शामिल किया गया है: गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय.
कृषि सखियां किस प्रकार से किसानों की सहायता कर के कर रही हैं कमाई
वर्तमान में एमओवीसीडीएनईआर (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के तहत 30 कृषि सखियां लोकल रिसोर्स पर्सन यानी एलआरपी के रूप में काम कर रही हैं, जो हर महीने में एक बार प्रत्येक खेत पर जा कर कृषि गतिविधियों की निगरानी करती हैं और किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझती हैं. वे किसानों को प्रशिक्षित करने, किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों, एफपीओ के कामकाज एवं विपणन गतिविधियों को समझने और किसान डायरी रखने के लिए हर हफ्ते किसान हित समूह (एफईजी) स्तर की बैठकें भी आयोजित करती हैं. उन्हें उल्लिखित गतिविधियों के लिए हर महीने 4,500 रुपए का संसाधन शुल्क मिलता है.