अक्सर लोगों को लगता है कि स्ट्राबेरी विदेशी मूल का फल है, जो भारत में आकर बेचा जाता है लेकिन अब भारतीय किसान भी इस फल को उगाकर मुनाफा कमाने लगे हैं, हौर्टिकल्चर एक्सपर्ट विवेक शुक्ला भी इनमें से एक हैं.
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लौकडाउन ने कई लोगों को बुरे दिन दिखाए, तो कइयों के जीवन को नई सकारात्मक दिशा दी. विवेक शुक्ला इसी में से एक हैं, बेहद साधारण दिखने वाले विवेक ने सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय' (Sam Higginbottom University of Agriculture, Technology and Science) से कृषि में एमएससी करने के बाद एमबीए की भी डिग्री ली. जब लौकडाउन में नौकरी गई, तो दोस्त के बुलावे पर गुरुग्राम आ गए. पटौदी में 40 हजार रुपए प्रति वर्ष किराए पर 2 एकड़ जमीन स्ट्राबेरी फार्मिंग के लिए ली. इस खेती की खास बात थी कि इसे उगाने के लिए गोमूत्र का सहारा लिया गया. विवेक जी बताते हैं कि बाजार में और्गेनिक स्ट्राबेरी को पहुंचाना जरूरी था क्योंकि यह हेल्दी होता है और न्यूट्रीशन से भरा होता है
नेपाल में की जबरदस्त मेहनत, बना दिया एशिया का सबसे बड़ा स्ट्राबेरी फार्म
नेपाल में एशिया का सबसे बड़ा स्ट्राबेरी उत्पादक फार्म है, इसकी स्थापना करनेवालों में से विवेक भी एक हैं. अंबेडकर नगर के रहनेवाले विवेक ने जब नेपाल का रुख किया था, तो वहां शुरुआत में दिक्कतें आई, वहां का तापमान 34 से 35 डिग्री था. कई लोगों ने कहा कि स्ट्राबेरी पहाड़ों की चीज है, यहां नहीं होगी लेकिन पिछले 15 सालों के अनुभवों की वजह से विवेक ने वहां स्ट्राबेरी फार्मिंग शुरू करने की जिद ठान ली. विवेक ने बताया कि भारत और नेपाल में होनेवाले और्गेनिक स्ट्राबेरी फार्मिंग में एक बड़ा अंतर है. नेपाल में और्गेनिक फार्मिंग करना आसान है क्योंकि भारत की तुलना में नेपाल में कैमिकलयुक्त खाद का प्रयोग कम होता है, इस कारण वहां ज्यादा अच्छी फसल होती है जिसमें कीड़े भी नहीं लगते हैं