जबलपुर : बारिश के दौरान जिले में बड़े पैमाने पर किए जाने वाले पौध रोपण और उन की सुरक्षा को ले कर जिला पंचायत ने पिछले दिनों जिले की सभी पंचायतों के सरपंच, पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सहायकों, उपयंत्रियों, सहायक यंत्रियों और जनपद पंचायतों की मुख्य कार्यशाला आयोजित की.

सिहोरा के विधायक संतोष वरकडे, जिला पंचायत अध्‍यक्ष आशा मुकेश गोटिंया, वन मंडल अधिकारी ऋषि मिश्र, जिला पंचायत की मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जयति सिंह मौजूदगी में आयोजित इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के तौर पर मुंबई से आए ग्रीन यात्रा संस्था के प्रदीप त्रिपाठी एवं सिद्धार्थ इंगले ने पौध रोपण के तकनीकी के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया.

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए सिहोरा के विधायक संतोष वरकडे ने पौध रोपण जीवन के लिए अतिमहत्‍वपूर्ण है. उन्होंने पौध रोपण के साथसाथ पौधे की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिए जाने पर बल दिया.

उन्होंने कार्यशाला के आयोजन के लिए जिला पंचायत की सीईओ की तारीफ भी की. कार्यशाला में गैरसरकारी संगठन ‘ग्रीन यात्रा’ के मुंबई से पधारे विषय विशेषज्ञ सिद्धार्थ इंगले द्वारा पौध रोपण के तकनीकी पहलुओं पर विस्‍तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एक रिसर्च में यह पाया गया है कि औक्‍सीजन की एक दिन की कीमत 13 लाख रुपए है. इसे प्रकृति से हम मुफ्त में प्राप्‍त करते हैं और यह अनमोल है.

इंगले ने कहा कि यह सभी का दायित्‍व है कि पौध रोपण में तकनीकी का भी इस्‍तेमाल करें, ताकि शतप्रतिशत पौधों को बचाया जा सके.

‘ग्रीन यात्रा संस्‍था’ के फाउंडर प्रदीप त्रिपाठी ने कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन में पैसा कमाना ही सबकुछ नहीं है. उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार से अपनी मैडिकल की पढ़ाई छोड़ कर इस अभियान में जुटे हैं.

उन्होंने पौध रोपण की परमाकल्चर विधि का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए कहा कि इस विधि से पौध रोपण स्‍थल को आय का साधन भी बनाया जा सकता है. इस विधि में लगाए गए पौधों के बीच कद्दू, सब्जियां, कंद और पपीता, केला आदि लगाए जा सकते हैं और एक हेक्टेयर क्षेत्र में पौध रोपण कर 4 से 5 लाख रुपए तक की आय ली जा सकती है.

पंकज त्रिपाठी ने बताया कि दिल्‍ली, मुंबई, बैंगलुरु में लगभग 20,000 हेक्‍टेयर में उन के द्वारा यह काम किया जा रहा है. बड़े शहरों में जहां पर कचरा डंप किया जाता है, आज वहां बड़ेबड़े पेड़ उग आए हैं.

वन मंडल अधिकारी ऋषि मिश्र ने कार्यशाला में अपने प्रस्‍तुतीकरण में सर्वप्रथम फिल्‍म के माध्‍यम से वन विभाग द्वारा किए जा रहे पौध रोपण के बारे में जानकारी दी गई.

उन्होंने बताया कि इस वर्ष वन विभाग द्वारा 4 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया गया है. इस के लिए पानी कोई बाधा नहीं है. वर्षा के जल का 6 से 8 माह तक प्रबंधन कर सभी पौधों को जिंदा रख सकते हैं.

कार्यशाला के समापन पर जिला पंचायत की सीईओ जयति सिंह ने जिले में पदस्थ सभी उपयंत्रियों को यह बताया कि मनरेगा के तहत किस प्रकार से पौध रोपण करना है. उन्होंने जिले में संचालित वाटरशेड की 2 परियोजनाओं में परमाकल्‍चर के माध्‍यम से ही पौध रोपण किए जाने के निर्देश दिए.

उन्होंने स्‍पष्‍ट किया कि आने वाले दिनों में जनपद पंचायत के भ्रमण के दौरान ये सारी बातें धरातल पर दिखनी चाहिए. इस के लिए सभी जनपद अपनी टीम के साथ तैयारी कर लें.

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