ग्वालियर : संजीव पहले धान की पारंपरिक खेती करते थे. जीतोड़ मेहनत के बावजूद उन्हें अपनी खेती से उतनी आमदनी नहीं हो पाती थी, जितनी वे उम्मीद रखते थे. ऊपर से यदि मानसून दगा दे जाए, तो उत्पादन और घट जाता है. संजीव ने फसल में बदलाव क्या किया, उन की जिंदगी ही बदल गई. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने उन के जीवन में सुखद बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई है.

ग्वालियर जिले के भितरवार विकासखंड के ग्राम गोहिंदा के रहने वाले प्रगतिशील किसान संजीव बताते हैं कि धान की फसल में लागत ज्यादा और आमदनी कम होती थी. जब तमाम प्रयासों के बावजूद आशा के मुताबिक आमदनी नहीं बढ़ी, तब हम ने उद्यानिकी फसल की ओर कदम बढ़ाए. इस के लिए हम ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से तकनीकी मदद ली. उन की सलाह पर हम ने “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” के तहत ड्रिप विथ मल्चिंग पद्धति से बैगन उत्पादन शुरू किया.

संजीव बताते हैं कि एक हेक्टेयर रकबे में हम ने इस पद्धति से बैगन की खेती शुरू की. इस पर लगभग एक लाख, 55 हजार रुपए की लागत आई, जिस में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 70,000 रुपए का अनुदान भी मिला.

संजीव का कहना है कि जब हम अपने एक हेक्टेयर खेत में धान उगाते थे, तब एक लाख रुपए की लागत आती थी और हमें लगभग एक लाख, 92 हजार रुपए की आय होती थी. इस में अगर हम अपनी मेहनत जोड़ लें, तो आमदनी न के बराबर होती. अब हमें उसी एक हेक्टेयर रकबे में ड्रिप विथ मल्चिंग पद्धति से बैगन की खेती करने पर लागत निकाल कर 5 लाख रुपए की शुद्ध आमदनी हो रही है.

वे बताते हैं कि धान का उत्पादन 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था, वहीं बैगन का उत्पादन 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो रहा है. ड्रिप विथ मल्चिंग पद्धति से बैगन उत्पादन में 2 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर का खर्चा आता है और 7 लाख रुपए की आय होती है. इस प्रकार हमें 5 लाख रुपए की आमदनी एक हेक्टेयर रकबे से होने लगी है.

आमदनी बढ़ने से संजीव के चेहरे पर आई खुशी देखते ही बनती है. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने हमजैसे जरूरतमंद किसानों का जीवन संवार दिया है.

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