लखनऊ : अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी के द्वारा पिछले दिनों योजना भवन, लखनऊ से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से एफपीओ के संतृप्तिकरण अभियान के अंतर्गत प्रदेश के सभी उपनिदेशक, कृषि एवं जिला कृषि अधिकारी के साथ समीक्षा बैठक की गई एवं निर्देश दिया गया कि प्रदेश में जितने भी एफपीओ  गठित है. चाहे वह केंद्रपोषित 10,000 एफपीओ योजना के अंतर्गत विभिन्न संस्थाओं के द्वारा गठित हो अथवा राज्यपोषित आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अंतर्गत गठित हो. उन सभी एफपीओ को जुलाई और अगस्त माह में अभियान चला कर मुख्य रूप से 6 प्रकार के लाइसैंस यथा बीज, उर्वरक, कृषि रक्षा रसायन, मंडी के लाइसेंस, जीएसटी एवं एफएसएसएआई  के लाइसैंस से संतृप्ति कर दिया जाए.

जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला अनुश्रवण समिति की बैठक करा कर सभी संस्थाओं से समन्वय स्थापित करते हुए उन के लाइसैंस निर्गत कर दिया जाए. जो एफपीओ सक्रिय हैं, व्यापक रूप से किसानों के हित में काम कर रहे हों, उन के सदस्यों की संख्या भी अधिक हो, उन के शेयर होल्डर्स किसान द्वारा कंट्रीब्यूशन भी अच्छा किया गया है, उन एफपीओ को सबमिशन औन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना/फ़सल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना में वरीयता देते हुए उन के यहां एफएमबी की स्थापना भी करा दी जाए.

एफपीओ को अपने इनपुट लाइसैंस जैसे बीज, उर्वरक और पेस्टिसाइड के लिए निवेश मित्र पोर्टल से अप्लाई करने के 30 दिन के अंदर उन्हें अनिवार्य रूप से लाइसैंस उपलब्ध करा दिया जाए, साथ ही जो किसी विभाग के ग्रुप वन, ग्रुप दो, ग्रुप तीन के कर्मचारी मैटर के रूप में एकएक एफपीओ के साथ लगाए गए हैं, उन का दायित्व है कि उन का सहयोग करते हुए लाइसैंस बनने के बाद उस को एफपीओ शक्ति पोर्टल पर भी अपलोड कर दें, जिस से कि वहां पर भी प्रदर्शित होने लगे कि किनकिन निवेश के लाइसैंस से इन का संस्कृतीकरण हो गया है.

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