मिठाई को बनाने के 2 तरीके होते हैं. पहला, मिठाई अनाज से तैयार हो या दूध से. जब दूध की बात आती है तो यहां भी 2 तरीके से मिठाई तैयार होती है. दूध से खोया बना कर या फिर छेना बना कर. खोये से बनी मिठाई के मुकाबले छेने से तैयार मिठाई सब से ज्यादा समय तक चलती है. छेने से ज्यादा किस्म की मिठाइयां तैयार होती हैं. अगर मिठाई की अलगअलग किस्मों की बात करें तो छेने से तैयार होने वाली मिठाइयों की तादाद ज्यादा होती है. मिठाई बनाने वाले कारीगर किसी भी तरह के प्रयोग से नई किस्म की मिठाई बना सकते हैं, छेना उस में उन का पूरा साथ देता है.
छेने में चीनी को मिक्स करने के साथ अब खोया, मलाई, मेवा और पनीर तक का प्रयोग कर के नईनई किस्म की मिठाइयां तैयार होने लगी हैं. आमतौर पर पहले ये केसर के रंग से ही तैयार होती थीं जिस की वजह से मिठाई का रंग सफेद या केसर सा होता था. अब इस में नए प्रयोग होने लगे हैं. खजूर के गुड़ और खाने वाले वैजिटेबल कलर से अलगअलग रंग की मिठाइयां तैयार की जा रही हैं. कई मिठाई कारीगर अब इस में चौकलेट और मेवा का प्रयोग भी करने लगे हैं.
लखऊ में कंचन स्वीट्स के नरेंद्र तोलानी कहते हैं, ‘‘बंगाली मिठाई का मुख्य आधार ही छेना होता है. पहले केवल सफेद रसगुल्ला ही छेना से तैयार होता था. धीरेधीरे छेना को ले कर बहुत सारे बदलाव हुए. इस का आकार बदला और आकार के हिसाब से मिठाइयों के नाम बदलने लगे.
‘‘इस के बाद छेना में अलगअलग तरह की चीजें मिलाई जाने लगीं जिस से छेना से तैयार होने वाली मिठाइयों की तादाद बढ़ने लगी.
‘‘मिठाई बाजार के बदलते तौरतरीकों के साथ अब छेना कदम से कदम मिला कर चल रहा है. किसी भी मिठाई की दुकान पर सब से ज्यादा बिकने वाली मिठाइयों में छेना की मिठाई सब से आगे होती है. जो लोग मिठाई को उस के मीठे रूप में पसंद करते हैं उन को छेना ही सब से ज्यादा पसंद आता है.
‘‘डायबिटीज के लोगों को चीनी से नुकसान होता था. ऐसे में अब छेना की मिठाई को तैयार करने के लिए खजूर के गुड़ का इस्तेमाल होने लगा है. यह जाड़े के मौसम में काफी लाभकारी होता है. हम बंगाली संदेश जैसी तमाम मिठाइयां खजूर के गुड़ से ही तैयार करते हैं.’’
छेना कुछकुछ पनीर जैसा होता है. यह पनीर से ज्यादा मुलायम होता है. आमतौर पर यह गाय के दूध से बनता है.
छेने का प्रयोग अलगअलग तरह की मिठाइयों को बनाने में किया जाता है. छेने से तैयार होने वाली मिठाइयों में रसगुल्ला, रसमलाई, लड्डू, छेना बरफी, छेना मुरकी, छेना टोस्ट, चमचम, छेना खीर, छेना रबड़ी, राजभोग, मलाईचाप, छेना खजूर, छेना मालपुआ, छेना रोल, छेना खुरमा, संदेश और छेना पेड़ा प्रमुख हैं.
छेने में प्रोटीन, कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है.
छेना बनाने के लिए सामग्री
150 ग्राम छेने को बनाने के लिए 1 लिटर दूध शुद्ध मलाई सहित, 1 बड़ा चम्मच सिरका या नीबू का रस, 2 और चीजें जिन की आप को जरूरत होगी, वे हैं सूप छानने की छलनी, चौथाई मीटर मलमल का कपड़ा या सूती मुलायम और महीन कपड़ा.
सब से पहले दूध को उबालें. उबाल आने के बाद आंच को धीमा कर दें. अब दूध में सिरका या नीबू का रस डालें. अच्छे से मिलाएं. 10-15 सैकंड के लिए आंच तेज कर के फिर बंद कर दें. आप देखेंगे कि दूध फट गया है और उस में हरा सा पानी अलग हो गया है. एक मिनट के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें.
छलनी के ऊपर मलमल का कपड़ा लगाएं. छलनी को किसी भगोने के ऊपर रखें जिस से कि छेना का पानी बाहर न गिरे. अब छलनी के ऊपर फटा दूध डालें और बड़े चम्मच से दबा कर सारा पानी निकाल दें. छेने को एक घंटे के लिए अलग रखें. छेना अब तैयार है.
छेने को किसी भी मिठाई में इस्तेमाल करने के लिए उसे अच्छे से मसल कर चिकना करना होता है. ऐसे में अब छेना किसी भी तरह से मिठाई के बनने में इस्तेमाल होने के लिए तैयार होता है.