बाजार में बहुत से कुकिंग औयल बिक रहे हैं. औयल की शुद्धता की पहचान करना आसान नहीं है. हमारे देश में खाने की चीजें दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं. हम तलाभुना खाना ज्यादा पसंद करते हैं और खाने में जब तक सब्जी या दाल के ऊपर तेल न दिखे तब तक हमें खाने का मजा ही नहीं आता है. भारत में ज्यादातर खाना लोग औयल में ही बनाते हैं. गरमागरम समोसे हों या दालसब्जियों में लगने वाला तड़का, सब में औयल का जम कर इस्तेमाल किया जाता है. औयली खाना भारतवासियों के खून में है.
अच्छा कुकिंग औयल आप को स्वस्थ रख सकता है. भले ही आप बढि़या से बढि़या खाना बना लें लेकिन औयल अच्छा नहीं है तो सब बेकार है. ऐसा खाना तमाम तरह की बीमारियों को निमंत्रण देता है.
बाजार में कई ब्रांड के औयल मौजूद हैं जो तरहतरह के दावे कर जनता को गुमराह करते हैं. कई तेल कंपनियां कौलेस्ट्रौल कम करने, दिल की बीमारियां दूर करने, हार्ट को हैल्दी रखने, लाइटवेट औयल, लोफैट औयल आदि न जाने कितने ही झूठे दावे करती हैं. ये खोखले दावे लोगों को लुभाते हैं और लोग उन झूठे विज्ञापनों को देख कर बिना किसी जांचपरख के इन का सेवन करते हैं.
तेल में मोनो सैच्युरेटेड फैटी (मूफा) जिस में ओमेगा-3 पाया जाता है और पौली सैच्युरेटेड फैटी एसिड (पूफा) जिस में ओमेगा-6 पाया जाता है, अलगअलग मात्रा में होते हैं. ये दोनों ही स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं.
जैतून, सरसों, सोयाबीन, राइस ब्रान तेल, कनोला (राई) तेल और मूंगफली का तेल हार्ट के लिए काफी अच्छे हैं. इन तेलों को अपने आहार में शामिल करना काफी लाभदायक है. ये शरीर में बन रहे गंदे कौलेस्ट्रौल को कम करते हैं. ये प्रोटीन औरकार्बोहाइड्रेट के चयापचय को तेज कर पाचनक्रिया में मदद करते हैं.
आइए जानते हैं कि कौन से तेल की किस तरह से जांच कर आप उस की शुद्धता की पड़ताल कर सकते हैं:
रिफाइंड औयल
रिफाइंड औयल हानिकारक होता है. यह तेल काफी सारे कैमिकलों को मिला कर तैयार किया जाता है. इसे 200 डिगरी सैल्सियस से अधिक तापमान पर गरम किया जाता है. इस की चिकनाई और चिपचिपाहट निकाल दी जाती है. इन सब प्रोसैस में तेल में जितने भी न्यूट्रिशन और प्रोटीन मौजूद होते हैं वे सब निकल जाते हैं और फिर तेल खाने लायक नहीं रहता.
रिफाइंड औयल के इस्तेमाल से छोटी से ले कर भीषण बीमारियां तक जन्म लेती हैं, जैसे घुटने से फ्लूइड का कम होना, कमर दर्द, हड्डियों का कमजोर होना, हार्टअटैक, लकवा, ब्रेन डैमेज होना आदि. इस की पहचान है कि इस में बिलकुल भी चिकनाहट नहीं होती और न ही किसी तरह की खुशबू होती है. यह बहुत पतला पानी जैसा होता है.
सरसों के तेल की पहचान
सेहत को ध्यान में रखते हुए लोग अब सरसों के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं. सरसों के तेल में भी इतनी मिलावट है कि लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे सरसों के तेल का इस्तेमाल कर के फायदे में नहीं, बल्कि नुकसान में हैं. लोग असली और नकली तेल में आसानी से फर्क ही नहीं कर पाते.
जहां सरसों का तेल जोड़ों के दर्द को कम करता है, वहीं कैंसर से भी बचाता है. यह एलर्जी ठीक करता है और दिल के रोगों को दूर करता है. लेकिन मिलावट होने से इस के नुकसान का सामना लोेगों को करना पड़ता है. वैसे तो इसे टैस्ट करने के बहुत सारे उपाय हैं लेकिन आप एक आसान टैस्ट से पता लगा सकते हैं कि सरसों का तेल असली है या नहीं.
इस के लिए आप थोड़ा सा तेल हाथ पर रखें और रगड़ें. सरसों का तेल काफी गाढ़ा होता है. यदि रगड़ने से इस का रंग हाथ पर हलका पीला हो तो समझ लें कि इस में मिलावट है. यदि रंग न छूटे, केवल चिकनाई रहे तो समझ लें कि तेल शुद्ध है.
जैतून के तेल की पहचान
जैतून का तेल शरीर में खराब कौलेस्ट्रौल को कम करता है और अच्छे कौलेस्ट्रौल को बढ़ाता है. यह हार्टअटैक से बचाता है. जैतून के तेल में एंटीऔक्सिडैंट की मात्रा काफी होती है. यह शरीर में मौजूद वसा को कम भी करता है.
जैतून के तेल की जांच भी आसानी से घर पर ही की जा सकती है. 1 कटोरी में जैतून का तेल भर लें और उसे फ्रिज में रखें. अगर तेल जम जाए तो आप समझें कि तेल नकली है. इस दौरान एक बात का जरूर ध्यान रखें कि तेल को फ्रिजर में न रखें और अच्छे नतीजे के लिए 24 से 48 घंटे तक इंतजार करें.