लखनऊ : राजधानी लखनऊ में ‘प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘धरती मां को रसायनों से बचाने’ के सपने को पूरा करते हुए हम कोशिश करेंगे कि आने वाले समय में किसान रसायनमुक्त खेती करें, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ रहे.
उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे अपने खेत के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती करें. शुरुआती 3 सालों में जब किसान प्राकृतिक खेती करेंगे, तो पैदावार कम होगी और ऐसी स्थिति में सरकार किसानों को सब्सिडी देगी. प्राकृतिक खेती से उगाए हुए अनाजों, फलों और सब्जियों की बिक्री से किसानों को डेढ़ गुना से ज्यादा दाम मिल जाएंगे.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश के कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के अध्ययन व खोज के लिए प्रयोगशालाओं को स्थापित किया जाएगा, जिन की मदद से देश में प्राकृतिक खेती को मदद मिलेगी और अनाज के भंडार भी भरेंगे.
उन्होंने कहा कि देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जाएगा, ताकि वे देश के हर कोने में जा कर इस का प्रचार कर सकें. केंद्र सरकार सभी हितधारकों से परामर्श कर के प्राकृतिक खेती के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगी.
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक खेती और जैविक खेती 2 अलगअलग चीजें हैं और इस अंतर को समझना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में पानी की कम जरूरत होती है और यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. यह अच्छी बात है कि अब सरकार प्राकृतिक खेती के महत्व को समझ गई है.
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. सभी 6 कृषि विश्वविद्यालयों को प्रमाणन प्रयोगशालाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 4 कृषि विश्वविद्यालय, 89 कृषि विज्ञान केंद्र और 2 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं.