चाट लखनऊ का एक प्रमुख रोजगार भी बन गया है. चाट की साधारण दुकानों से ले कर बड़ीबड़ी मिठाई की दुकानों पर भी चाट के स्वाद का एहसास कराती रहती हैं. लखनऊ वालों का मानना है कि चाट का जो मजा सड़क किनारे ठेले पर खाने का है, वह किसी और जगह पर नहीं है.
दोपहर से ही यहां चाट की दुकानें गलीमहल्ले से ले कर मौल और बाजार तक में सज जाती हैं. रात को खाने के बाद भी चाट के चटकारे लेते लोगों को देखा जा सकता है.
लखनऊ की चाट तो मशहूर है ही, इस के खाने का अंदाज भी जुदा है. लखनऊ की चाट का ही कमाल है कि फिटनैस मौडल और एपी इवैंट्स की डायरैक्टर आरती पाल ने अपनी डाइटिंग को भूल कर रौयल कैफे में लखनऊ की चाट का खूब चटकारा लिया. चाट के साथ आरती का अंदाज भी देखने वाला था.
लखनऊ में अमीनाबाद गड़बड़झाला के पास बनी गली को ‘चाट वाली गली’ कहा जाता है. अमीनाबाद लखनऊ का सब से पुराना बाजार है. यहां सब से ज्यादा ग्राहक आते हैं. आज भी यहां पैदल चलना मुश्किल होता है.
अमीनाबाद की चाट वाली गली में अब भी चाट यानी आलूमटर की टिक्की, पानी के बताशे और खस्ता की कई दुकानें हैं. लखनऊ की चाट इस गली से निकल कर पूरे शहर में फैल गई है.
लखनऊ की जो ‘शाम ए अवध’ पूरी दुनिया में मशहूर है, उस का असली रंग हजरतगंज में ही दिखता है. यहां की लव लेन में टहलते हुए पानी के बताशे खाने का अपना अलग ही मजा है. इन पानी के बताशों की सब से खास बात यह होती है कि यह 5 अलगअलग तरह के स्वाद वाले पानी के साथ खिलाए जाते हैं.
शाम को हजरतगंज बिजली की रोशनी में जगमग होता है तो एक अलग सी जगह लगती है. यहां सड़क के साथ बना चौड़ा सा फुटपाथ है. यहां पर खड़े हो कर चाट खाई जा सकती है.
बाजार में साफसफाई का पूरा माहौल रहता है. चाट खाते समय साफसुथरा माहौल भी बना रहता है. मोती महल और रौयल कैफे के अंदर बैठ कर चाट खाने की जगह ज्यादातर लोग सड़क किनारे खड़े हो कर ही चाट का मजा लेते हैं.
हजरतगंज में फुटपाथ पर विक्टोरियन स्टाइल के लैंप पोस्ट लगे हैं. बैठने के लिए आयरन की कुरसियां भी हैं. बाजार में सजाने के लिए जगहजगह फव्वारे हैं जो गरमी के दिनों में भी ठंडीठंडी ताजगी का एहसास कराते हैं.
हजरतगंज में भीड़ को कम करने के लिए पार्किंग की बेहतर व्यवस्था है. मल्टीलैवल पार्किंग होने से बाजार में भीड़ होने के बाद भी सुकून भरा एहसास होता रहता है.
चाट को बनाने के लिए अच्छी किस्म का सामान इस्तेमाल किया जाता है. चाट को तैयार करने के लिए देशी घी का इस्तेमाल किया जाता है. अगर टहलतेटहलते आप चाट खाने का मजा लेना चाहते हैं तो हजरतगंज से अच्छा माहौल आप को शायद ही कहीं मिल सके.
मोती महल और रौयल कैफे में चाट मिलती तो पूरे दिन है, पर सही माने में शाम का समय ही चाट खाने के लिए सब से मुफीद होता है. लखनऊ आने वाला हर फिल्म स्टार या सैलेब्रेटी एक बार हजरतगंज की चाट का मजा जरूर लेना चाहता है. कई बड़े नेता भी यहां चाट खाने आते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी रामआसरे की चाट का मजा ले चुके हैं. रौयल कैफे की बास्केट चाट सब से मशहूर है.
चाट किंग के नाम से मशहूर हरदयाल मौर्य बताते हैं, ‘‘बास्केट चाट को आलू के लच्छों से बनाया जाता है. इस के अंदर चाट को भरा जाता है. ऊपर से दही आर मसाला डाल कर इसे और भी टेस्टी बनाया जा सकता है.’’
‘‘एक आदमी अकेले बास्केट चाट नहीं खा पाता है. चाट में सब से ज्यादा लोग आलूमटर की टिक्की और बताशे पसंद करते हैं. चाट खाने का मजा कई लोगों के साथ आता है. चाट के साथ ही साथ हजरतगंज में हर तरह का खाना मिल जाता है. यहां पर चाट खाने के बाद मिठाई और ठंडीठंडी कुलफी खाने का रिवाज भी है.
‘‘लखनऊ की दूसरी मशहूर चाट की दुकानों में सदर में छप्पन भोग, इंदिरा नगर में कंचन स्वीट्स, गोमती नगर में मधुरिमा, चौक में परंपरा, महानगर में रिट्ज सब से ज्यादा मशहूर हैं. छप्पन भोग में आलू, मटर की टिक्की के अलावा दहीबड़े बहुत टेस्टी बनते हैं. चाट को सब से ज्यादा मशहूर करने में छप्पन भोग का बड़ा योगदान रहा है. शाम की चाट के साथ गरमागरम जलेबी, इमरती और कुलफी खाने वालों की भीड़ लगी होती है.’’
आरती पाल कहती हैं, ‘‘मुझे लखनऊ की चाट बहुत पसंद है. इस में अलगअलग तरह की तमाम वैराइटी खाने को मिलती हैं जो चाट के अंदाज को बदल देती है.’’