एकवर्षीय फसल तिल का पौधा 50 से 100 सैंटीमीटर लंबा और पीले रंग के पुष्प वाला होता है. तिल के बीजों में 40-48 फीसदी तेल की मात्रा होती है.
भारत में आमतौर पर तिल खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसल है. तिल की फसल कम समय 100-135 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. भारत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश वगैरह राज्यों में तिल का उत्पादन किया जाता है.
मिट्टी : 7.5-8.0 के पीएच मान के साथ अच्छी तरह से सूखी रेतीली लोम मिट्टी और शुष्क व अर्द्धशुष्क जलवायु तिल बीज के उत्पादन के लिए सही है.
मौसम : फल की बोआई जूनजुलाई महीने के दौरान की जा सकती है.
बीज का चयन : आधार बीज उत्पादन के लिए प्रजनक बीज और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए आधार बीज का चयन किया जा सकता है.
तिल बीज की किस्में : बीज उत्पादन के लिए संबंधित किस्म अधिसूचित होनी चाहिए. इस में प्रताप, पंजाब तिल नं. 1, आरटी 1, मधावी, गौरी वगैरह तिल की लोकप्रिय किस्में हैं.
बीज की दर : एक हेक्टेयर खेत के लिए 5 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
बीज का उपचार : बीजों को ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम या कार्बंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित कर सकते हैं. बोने से पहले 20 से 30 मिनट तक उपचारित बीजों को छाया में सुखाएं.
बोआई : कतार से कतार की दूरी 30 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 30 सैंटीमीटर पर करें.
सिंचाई : बोआई के तुरंत बाद बीज की सिंचाई करें. इस के बाद हफ्ते में 3 से 4 बार सिंचाई करें.