भारत दूध पैदावार के मामले में दुनियाभर में अव्वल है लेकिन कई बार पशुपालकों के सामने पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या आ जाती है, क्योंकि पूरे साल हरा चारा मिलना मुमकिन नहीं होता. ऐसे में कुछ पशुपालक हरे चारे का साइलेज बना कर रखते हैं.
साइलेज बनाने में मक्का, ज्वार, बाजरा, नैपियर घास, बरसीम वगैरह का इस्तेमाल किया जाता है. साइलेज को एक खास तरीके से जमीन में दबा कर तैयार किया जाता है. इसे जरूरत के समय पशुओं को खिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे पशुओं के लिए अचार भी कह सकते हैं.
लेकिन सभी लोग यह काम नहीं कर पाते हैं या उन के पास ऐसे संसाधन मौजूद नहीं होते जिस से वह आड़े वक्त के लिए साइलेज बना सकें. सही तरीके से बनाए गए साइलेज में अनेक पोषक तत्त्व होते हैं जो पशुओं के दूध में बढ़ोतरी भी करते हैं.
पशुओं के लिए चारा तैयार करने वाली अनेक कंपनियां भी साइलेज मुहैया करा रही हैं. तैयार साइलेज को बाजार से भी खरीदा जा सकता है जो बड़े पैकेटों में मिलता है.
साइलेज के फायदे को ध्यान में रख कर एक न्यूट्रीमील कंपनी ने मक्का का साइलेज तैयार किया है. दावा है कि यह भारत का पहला ब्रांडैड पैक्ड चारा है. यह दुधारू पशुओं के लिए ज्यादा ताकत देने वाला आहार है, जिसे पशु बड़े चाव से खाते हैं.
मक्का (कौर्न) के साइलेज में उम्दा प्रोटीन, फैट, फाइबर जैसे पोषक तत्त्व मौजूद हैं और यह खाने में स्वादिष्ठ और पचने में भी आसान है.
साइलेज की खासीयत यह है कि यह तकरीबन डेढ़ साल तक खराब नहीं होता है. बेहतर किस्म के मक्के से ड्यूपोंट पायनियर बनाया जाता है. इस के अच्छे नतीजे मिलते हैं.
इस चारे को बनाने के बाद यूरोपियन मशीनों के इस्तेमाल से इस चारे को संकुचित कर के पैक किया जाता है. इसे अच्छी क्वालिटी की फिल्म यानी पन्नी से पैक किया जाता है. यह चारा पशुपालक तक पहुंचने तक भी सुरक्षित रहता है.
साइलेज 500 किलोग्राम के पैक में मौजूद है और इस चारे को एक पशु को रोजाना 12 से 15 किलोग्राम तक खिला सकते हैं. शुरुआत 3 से 6 किलोग्राम साइलेज से करें. इस के बाद 5 से 10 दिनों में भी इस की मात्रा बढ़ाते जाएं जो 12 से 15 किलोग्राम तक होगी. इस कौर्न साइलेज को आप अपने दुधारू पशु को पूरे साल खिला सकते हैं.