भागलपुर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में 15-16 जुलाई 2024 को 2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विषय था, ‘पुनर्योजी कृषि हेतु प्राकृतिक खेती के तरीके’. इस संगोष्ठी में बिहार के 32 जिलों के कृषि विभाग, बिहार सरकार के सहायक तकनीकी प्रबंधक (एटीएम), प्रखंड तकनीकी प्रबंधक (बीटीएम), कृषि समन्वयक एवं जिले के प्रगतिशील किसान सहित कुल 96 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया.

इस 2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने पुनर्योजी कृषि (रिजेनेरेटिव एग्रीकल्चर) की आवश्यकता और उस के महत्व एवं उस को लागू करने के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा की. प्राकृतिक खेती द्वारा पुनर्योजी कृषि को किस प्रकार अपनाया जा सकता है, उस को बताते हुए सस्य वैज्ञानिक डा. शंभू प्रसाद ने प्रशिक्षणार्थियों को बीजामृत, जीवामृत बनाने की विधियों के साथसाथ प्राकृतिक खेती के मुख्य सिद्धांतों एवं अवयवों के बारे में जानकारी दी. वहीं डा. एके झा ने पुनर्योजी कृषि में वर्मी कंपोस्ट की महत्ता एवं उस को बनाने एवं उपयोग करने के तरीके के बारे में बताया.

कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागीयों को प्रमाणपत्र वितरण के उपरांत किया गया. समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे निदेशक शोध, डा. अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों एवं संगोष्ठी में बताए गए तरीकों से खेती करने की सलाह दी.

उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह बिहार राज्य के सभी किसानों के उत्थान के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं.

बिहार सरकार और बामेती, पटना के सहयोग से किसानों की खेती को लाभकारी और टिकाऊ योजनाओं एवं तकनीकों को प्रचारित एवं प्रसारित करने हेतु इस तरह के संगोष्ठी एवं कार्यक्रम को संचालित करते रहने का निर्देश भी देते हैं.

संगोष्ठी के समापन सत्र में डा. आरएन सिंह, सहनिदेशक, प्रसार शिक्षा एवं उपनिदेशक प्रशिक्षण, बिकृवि, सबौर ने बामेती, पटना के सहयोग की काफी प्रशंसा की और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी. इस कार्यक्रम में सस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. संजय कुमार सहित डा. राजेश कुमार एवं डा. एके झा भी उपस्थित थे.

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