कृषि विज्ञान केंद्र एक ऐसी संस्था है जिस में किसानों को तमाम तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. अगस्त, 1973 में एक समिति बनाई गई थी. इस के अध्यक्ष डाक्टर मोहन सिंह मेहता थे. उन की अध्यक्षता में किसानों की सामाजिक व माली तरक्की करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बनाए जाने का फैसला लिया गया था. समिति ने साल 1974 में ही अपनी रिपोर्ट पेश की थी.
पहला कृषि विज्ञान केंद्र पायलट आधार पर तमिलनाडु के कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन पुडुचेरी में साल 1974 में बनाया गया था. भारत में वर्तमान में कुल 731 कृषि विज्ञान केंद्र हैं.
मकसद
* कृषि और उस से संबंधित क्षेत्रों में कृषि प्रौद्योगिकी के तेजी से वितरण और तकनीक को अपनाने के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए प्रसार गतिविधियों का आयोजन करना.
* खेती की नई प्रणालियों का खेत पर ही परीक्षण करा कर किसानों को उन की जानकारी देना.
* उत्पादन सामग्री जैसे बीज, रोपण का तरीका, उर्वरक वगैरह किसानों को मुहैया कराना और उत्पादन कराना.
* किसानों को उन की जानकारी और कौशल को उन्नत करने के लए ट्रेनिंग देना.
* किसानों के खेतों में मिट्टी जांच कराना और उस के आधार पर मिट्टी में खादबीज डालने की जानकारी देना.
अवधारणा
* कृषि विज्ञान केंद्र काम के तजरबे के आधार पर तालीम देगा. तकनीकी जानकारी भी मुहैया कराएगा. इसे हासिल करने के लिए किसानों का पढ़ालिखा होना जरूरी नहीं है.
* कृषि विज्ञान केंद्र स्वरोजगार की चाहत रखने वाले किसानों की जरूरतों को पूरा करेगा.
* कृषि विज्ञान केंद्र के लिए कोई समान पाठ्यक्रम नहीं होगा. पाठ्यक्रम और कार्यक्रम जरूरत के आधार पर होगा.