अब गन्ने की बोआई मशीनों से की जाती है. मशीनों से बोआई करने का सब से बड़ा फायदा यह है कि किसान गन्ने के साथ कोई और फसल भी बो सकते हैं. यहां गन्ने का ऊपरी भाग अच्छे बीज के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि उस समय नीचे का गन्ना कटाई व छिलाई कर के चीनी मिल को भेजा जा सकता है.

उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में गेहूं की कटाई के बाद गन्ना बोया जाता है. छोटी जोत होने के कारण गेहूं की कटाई के बाद गरमी में देर से गन्ने की बोआई होती है. इस समय ज्यादा तापमान होने के कारण गन्ने की फसल का सही से जमाव नहीं होता है और इस दौरान बोआई करने से फसल में कीट व खरपतवारों का हमला भी ज्यादा होता है इसलिए गन्ना और गेहूं की फसल साथ लेने से कई फायदे होते हैं.

शुरुआती दौर में गन्ने की बढ़वार कम होने व पत्तियां छोटी होने के कारण कम समय लेने वाली फसल जैसे लाही, सरसों, टमाटर, मटर, मसूर, आलू, प्याज, लहसुन, मूंग, लोबिया, मिर्च वगैरह के लिए सही समय मिल जाता है, जिस से उन में पोषक तत्त्वों, पानी, खाली जगह और धूप वगैरह का सही इस्तेमाल गन्ने की फसल के साथ मिल जाता है.

गन्ना बोआई करने का सही समय फरवरी के पहले हफ्ते से मार्च मध्य तक होता है. समय से बोआई होने के कारण गन्ने का जमाव, ब्यांत और बढ़वार के लिए पूरा समय और सही मौसम होता है, जिस से पौधों में पोषक तत्त्व, पानी और रोशनी के लिए आपस में खींचातानी नहीं रहती है और ऐसे समय पर बोई गई फसल में तेजी से बढ़वार होने के कारण कीटों और खरपतवारों द्वारा नुकसान भी कम होता है.

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