मशहूर ट्रेंच विधि से गन्ने की बोआई करने से सामान्य विधि के मुकाबले 35-40 फीसदी ज्यादा उपज हासिल होती है. इस विधि से शरद यानी सर्दी, बसंत व देर बसंत में सफलतापूर्वक बोआई की जा सकती है.

बोआई का समय

शरदकालीन : 15 सितंबर से 15 अक्तूबर.

बसंतकालीन : 15 फरवरी से 15 मार्च.

देर बसंत : 15 मार्च से 15 अप्रैल.

बीजों का चुनाव : उत्पादन बढ़ाने में बीजों की बहुत ही खास भूमिका होती है, इसलिए बीजों का चयन बहुत ही सावधानी से करना चाहिए. सही बीजों का चुनाव नहीं होने से उत्पादन पर उलटा असर पड़ता है. लिहाजा 1 साल पहले से ही बीज फसल की समुचित देखभाल करनी चाहिए.

करीब 8-10 महीने की रोगों व कीटों से मुक्त फसल, जिसे सही मात्रा में पोषक तत्त्व दिए गए हों और गन्ना गिरा हुआ न हो, का बीजों के लिए चुनाव करें. बीजों के लिए कभी पतले गन्ने का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जड़ वाले हिस्से का बीज में इस्तेमाल न करें. जिस खेत से बीज लेना हो उस में सिंचाई के बाद यूरिया डालनी चाहिए. 2 आंखों के टुकड़े तेज धार वाले हथियार से सावधानी से काटें. खयाल रखें कि गन्ने की आंखों को किसी तरह का नुकसान न हो.

बीज उपचार : बीजोपचार के लिए कार्बेंडाजिम की 200 ग्राम मात्रा को 100 लीटर पानी में घोल कर उस में गन्ने के टुकड़ोंको 25-30 मिनट तक डुबो कर रखना चाहिए. अकसर किसान भाई टुकड़ों को पानी में भिगोने के फौरन बाद ही निकाल लेते हैं, जो सही तरीका नहीं है, क्योंकि इतने कम समय में दवा टुकड़ों में असर नहीं कर पाती है.

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