राजगढ़ : कृषि विज्ञान केंद्र, राजगढ़ व किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा ग्राम महू, पट्टी, धामंदा, गवाडा, उदनखेडी आदि गांवों के खेतों पर नैदानिक भ्रमण किया गया. किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डा. आरपी शर्मा, डा. लाल सिंह, एसके उपाध्याय और राकेश परमार द्वारा किसानों को सलाह दी गई कि वर्षा के कारण कुछ क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति होने के कारण कई प्रकार के कीट एवं व्याधियों का प्रकोप देखा जा रहा है.

अतः किसानों को सलाह दी जाती है कि नुकसान को कम करने के लिए शीघ्रता से जल निकासी की व्यवस्था करें. अधिक वर्षा के कारण कुछ सोयाबीन की फसल में फफूंदजनित एंथ्रेक्नोज रोग (इस रोग के कारण तनों और फलियों पर असमान्य छोटे काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं) एरियल ब्लाइट बीमारी (इस बीमारी के कारण पत्तियों पर असामान्य छोटे काले धब्बे दिखाई देते हैं, जो कि बाद की अवस्था में भूरे या काले रंग में बदल जाते हैं एवं संपूर्ण पत्ती झुलसी एवं कुछ नमी की उपस्थिति में पत्तियां ऐसे प्रतीत होती हैं जैसे पानी में उबल गई हों) और जड़ सड़न रोग (राइजोक्टोनिया), जिस में पौधो की जड़ें काली पड़ कर सड़ने लगती हैं आदि बीमारियों का प्रकोप देखा जा रहा है. इन के नियंत्रण के लिए टेबूकोनाझोल (625 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर) अथवा टेबूकोनाझोलसल्फर (1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यूजी (500 ग्राम प्रति हेक्टेयर) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 फीसदी ईसी (800 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर) से छिड़काव करें.

कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर पीला मोजक वायरस बीमारी का प्रकोप देखा गया है. अतः इस के नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही अपने खेत में जगहजगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगाएं, जिस से इस का संक्रमण फैलाने वाली सफेद मक्खी का नियंत्रण होने में सहायता मिले.

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