नई दिल्ली : 5 अगस्त, 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. उन्होंने सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़े, पर कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की प्राथमिकता में कभी किसान नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषणों में जवाहरलाल नेहरू ने साल 1947 में एक बार भी किसान पर चर्चा नहीं की, 1948 में एक बार उल्लेख किया, 1949 से लेकर 1961 तक कोई विशेष चर्चा नहीं की. इंदिरा गांधी ने भी 15 अगस्त के अपने भाषणों में 1966 में 2 बार बात की, 1967 में एक बार चर्चा की, 1968 में 3 बार उल्लेख किया, 1969 में 3 बार चर्चा की, 1970 में एक बार और 1971, 1972, 1973 में भी केजुअली लिया गया. किसानों की कोई पोलिसी की बात नहीं की. वहीं, राजीव गांधी ने भी कभी किसान कल्याण को प्राथमिकता नहीं दी, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में 2014 में 6 बार, 2024 में 23 बार, 2016 में 31 बार, 2017 में 20 बार, 2018 में 17 बार, 2019 में 17 बार, 2020 में 17 बार, 2021 में 15 बार किसानों का नाम लिया है. किसान का नाम, खेती को प्राथमिकता पर बात की. नरेंद्र मोदी के दिल में किसान था, इसलिए जबान पर किसान बारबार आता है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फसल खराब होने के बाद मुआवजे को ले कर कई बार गड़बड़ियां सामने आई हैं, इसलिए विजनरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों की तरफ से धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने डिजिटल कृषि मिशन शुरू करने का संकल्प लिया.
उन्होंने कहा कि मुझे कहते हुए गर्व है कि किसानों को आधार की तरह एक डिजिटल पहचान दी जाएगी. किसान आईडी बनाई जा रही है, जिसे किसान की पहचान के रूप में जाना जाएगा. इस किसान आईडी को राज्य के भूमि के रिकौर्ड के साथ जोड़ा जाएगा. अब किसान कोई भी फसल बोएगा, उस के रिकौर्ड में कोई हेराफेरी नहीं हो सकती, क्योंकि वो डिजिटल है. कोई भी उस में गड़बड़ नहीं कर सकता. फसल बोई गई है तो बोने के बाद जैसे ही फसल आती है, मोबाइल से वीडियोग्राफी कर के उस को सुरक्षित कर दिया जाएगा, ताकि फसल कौन सी बोई है, उस में कोई गड़बड़ न कर सके. किसानों के नुकसान के आकलन के लिए व्यवस्था बना रहे हैं कि सीधे रिमोट सेंसिंग से होगा. जैसा नुकसान होगा, वो सौ फीसदी वैसा ही आ जाएगा.
कृषि के लिए मोदी सरकार का विजन
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारी सरकार मोदी के नेतृत्व में एक विजन से काम कर रही है और इसलिए उस विजन को प्रकट करना है.
अगले 5 साल का विजन बताते हुए उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज के इस दौर में हमें जलवायु अनुकूल, बायोफोर्टिफाइड नई फसल किस्में तैयार करना पड़ेगी. हम 1,500 नई किस्में तैयार करने जा रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी कुछ दिनों में ही 109 नई किस्में किसानों को समर्पित करने वाले हैं, ताकि बढ़ते हुए तापमान के बाद भी कृषि में उत्पादन लगातार बढ़ता रहे. किसानों को डिजिटल आइडेंटिटी दी जा रही है, सरकार मिशन के तौर पर काम कर रही है. फसल विविधीकरण पर काम किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती हमारे विजन में है. लैब रिसर्च को लैंड तक ले जाना हमारा विजन है. वन हेल्थ अप्रोच पर हम काम कर रहे हैं, जो मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को उजागर करता है.
उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय बीज की 1,500 से ज्यादा नई किस्में तैयार कर रहा है. 18,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ सौ एक्सपोर्ट ओरिएंटेड बागबानी क्लस्टर विकसित किए जाएंगे. आधुनिक पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश कर रहे है. ई-नाम 2.0 का शुभारंभ और अतिरिक्त 1,500 मंडियों का एकीकरण का काम किया जा रहा है. 6,800 करोड रुपए निवेश के साथ तिलहन मिशन की शुरुआत कर आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं. बहुआयामी अप्रोच के माध्यम से बीज क्षेत्र के विकास पर जोर दिया जा रहा है. 50,000 गांवों को जलवायु अनुकूल गांव के रूप में विकसित करने के लिए हम पहल करने जा रहे हैं. सूक्ष्म सिंचाई के तहत 1 करोड़, 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने की योजना पर काम किया जाएगा.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम अगले 2 सालों में 200 जिलों में मौजूद फसल प्रणाली में 2,500 पारंपरिक किस्म को वापस लाने पर जोर दे रहे हैं. अगले 5 सालों में आदर्श दलहन और तिलहन गांव के विकास पर हम काम करेंगे.
हमारा लक्ष्य है कि हम दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करें. मिशन मोड पर जलवायु अनुकूल कृषि पर काम किया जा रहा है. छोटे किसान भी अधिक लाभ कमा सकें, इस के लिए मौडल फार्म बना रहे हैं.
सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम किसान सम्मान निधि पर चर्चा कर रहे थे, कांग्रेस ने किसानों को सीधी मदद की बात की, लेकिन कांग्रेस ने कभी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजना नहीं बनाई. सीमांत किसानों के लिए 6,000 रुपए की राशि माने रखती है. इस किसान सम्मान निधि के कारण किसान आत्मनिर्भर बने हैं, किसान सशक्त भी हुए हैं और किसानों का सम्मान भी बढ़ा है, लेकिन कांग्रेस को किसानों का सम्मान नज़र नहीं आ रहा है.
उन्होंने कहा कि, अगर खेती के लाभ को बढ़ाना है, तो व्यापक दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि खेती और खेती से संबंधित सारे विभाग एक दिशा में चलें. हम जानते हैं कि विभाग अलगअलग हैं, कैमिकल फर्टिलाइजर विभाग अलग है, जल शक्ति विभाग अलग है, इसलिए सरकार ये प्रयास कर रही है कि अलगअलग विभाग चाहे वो एनिमल हस्बेन्डरी हो, फिशरीज हो, हार्टिकल्चर हो, ये मिल कर प्लानिंग करें, एक दिशा में चलें, ताकि हम खेती में लाभ को और ज्यादा बढ़ाने का काम कर सकें. एकएक दृष्टिकोण ये सरकार अपनाएगी.
संवाद से समाधान की तरफ बढ़ेंगे
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से ये निवेदन करना है कि किसान को वोट बैंक न समझें, किसान को इनसान मान कर व्यवहार करें. राज्य सरकारों का सहयोग जरूरी है, क्योंकि बिना राज्य सरकारों के सहयोग के केंद्र काम नहीं कर सकता है, इसलिए जो हमारा सहकारी संघवाद है, उस भावना का आदर करते हुए अलगअलग राज्यों के कृषि मंत्रियों को बुलाया, चाहे किसी पार्टी के हों, हम ने पार्टी का भेद नहीं किया और वहां की कृषि समस्याओं पर चर्चा कर के उन के समाधान का प्रयास किया है. हम राज्यों के साथ मिल कर काम करते रहेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र, किसान और विज्ञान को जोड़ने के लिए बने हैं.
सभी सांसदों से आग्रह करता हूं कि, एक बार अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र में जरूर जाएं, वहां के कामों में भागीदारी करें. हमारे साइंटिस्ट, जो रिसर्च लैब में काम करते हैं, उसे लैंड तक ले जाएं. प्रधानमंत्री मोदी का विजन है कि आने वाले 2047 तक भारत न केवल अपनी जनता के लिए पोषणयुक्त पर्याप्त अन्न, फल और सब्जियां पैदा करेगा, बल्कि दुनिया का फूड बास्केट भी बन कर उभरेगा. कृषि में समस्याएं हैं, लेकिन समाधान भी हैं.
हम किसानों से बात करेंगे, किसान संगठनों से भी बात करेंगे, हम संवाद से समाधान की तरफ बढ़ेंगे और सब को साथ ले कर आगे चलेंगे. हम इस देश की कृषि और किसानों के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेंग.