भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवर्तक” (Grassroots Innovation and innovators in Transforming Agri-Food System) (GIITAS-2024) विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन हुआ.

विश्वविद्यालय के 15वीं स्थापना दिवस के पूर्व दिवस से शुरू हुआ यह राष्ट्रीय सम्मलेन 2 दिन तक चला. राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, गुजरात के सहयोग से आयोजित इस सम्मलेन में राज्यभर से नवाचारी किसानों ने हिस्सा लिया. सम्मलेन का उद्देश्य कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करना रहा.

सम्मलेन समारोह में अतिथियों में डा. अरविंद सी. रानाडे, निदेशक, राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, डा. वीवी सदामते, योजना आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार और मुख्य समन्वयक कृषि एक्सटेंशन प्लेटफार्म एसए(टीएएएस), डा. यूके दुबे, उपरजिस्ट्रार, पीपीवी एवं एफआरए, नई दिल्ली के अलावा कौशल्या फाउंडेशन से कौशलेंद्र कुमार और सम्मानित किसान इत्यादि मौजूद रहे.

सत्र की अध्यक्षता डा. डीआर सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर ने की. अतिरिक्त गणमान्य व्यक्तियों में डा. आरके सोहाने, संयोजक और प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू, सबौर; डा. एके सिंह, अनुसंधान निदेशक, बीएयू, सबौर; डा. एके साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर और डा. एके ठाकुर, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना शामिल थे.

किसानों जैसा नवाचारी कोई नहीं

कुलपति डा. डीआर सिंह ने आज के दौर में कृषि क्षेत्र में नवाचार की नितांत आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक नित्य नए पेटेंट हासिल कर रहे हैं, लेकिन अब हमारे वैज्ञानिक किसानों द्वारा विकसित तकनीक को परिष्कृत कर के पेटेंट दर्ज कराएंगे और पेटेंट के उपरांत प्राप्त रायल्टी को किसानों से साझा करेंगे.

उन्होंने कहा कि किसान से बड़ा नवाचारी कोई अन्य क्षेत्र के लोग नहीं करते, लेकिन किसानों को उन की खोज को पहचान नहीं मिलती. अब विश्वविद्यालय अपने राज्य के किसानों के नवाचार को औफिसियल सोशल मीडिया प्लेटफार्म से देशदुनिया में प्रचारित करेगा और किसान को उन की वाजिब पहचान दिलाएगा.

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