बस्ती: इस साल पूरी दुनिया में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए खाद्य और कृषि संगठन के अनुमोदन के पश्चात संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है. इस को ले कर संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिस का नेतृत्व भारत ने किया और 70 से अधिक देशों ने इस का समर्थन भी किया.
इसी को ध्यान में रखते हुए देश के सभी राज्यों की सरकारें मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए तमाम सहूलियतें मुहैया करा रही हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिलों में मोटे अनाजों के निःशुल्क मिनी किट के जरीए इस की खेती को बढ़ावा दिए जाने की योजना है.
इस मसले में बस्ती मंडल में संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चंद्र तिवारी ने बताया कि खरीफ 2023-24 में धान की नर्सरी तैयार करने का समय शुरू होने वाला है. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा श्री अन्न यानी मोटा अनाज या मिलेट, जिस में रागी, मडुवा, कोदो, ज्वार, बाजरा जैसी फसलें शामिल हैं का निःशुल्क मिनी किट एवं तिल का बीज किसानों में वितरित किया जाना है.
उन्होंने बताया कि मोटे अनाजों के मिनी किट के अलावा प्रमाणित और आधारीय बीज मंडल के तीनों जनपदों बस्ती, संतकबीर नगर व सिद्धार्थनगर के लिए आवंटित हो गया है. इसी महीने वितरण के लिए यह उपलब्ध करा दिया जाएगा.
उन्होंने यह भी बताया कि धान के साभा सब-1, सीओ-51, एनडीआर – 2064, बीपीटी -5204, एमटीयू-7029, सरजू-52 धान का प्रमाणित और आधारीय बीज भी मिलेगा.
किसान अपने ब्लौक के राजकीय कृषि बीज भंडार से बीज और मिनी किट प्राप्त कर सकते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि अगर किसान घर का बीज नर्सरी के लिए प्रयोग करते हैं तो थिरम अथवा कार्बेन्डाजिम का 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम अथवा ट्राइक्रोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम से बीज शोधित कर के ही प्रयोग में लाएं.
उन्होंने यह भी बताया कि जीवाणुजनित रोग, झुलसा एवं कंडुआ रोग के प्रकोप के नियंत्रण के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन अथवा 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन 25 किलोग्राम बीज को 10 लिटर पानी में 12 घंटे तक भिगोबीकर दूसरे दिन छाया में सुखा कर नर्सरी डालें. भूमि शोधन के लिए ट्राइकोडर्मा 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मिला कर छाया में नमी बना कर रखते हुए एक सप्ताह तक रखें और खेत की अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें.