नई दिल्ली : सरकार समयसमय पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसंधान कार्यक्रमों और प्रयासों की समीक्षा करने और आईसीएआर के अनुसंधान परिणामों को बेहतर करने के तरीके सुझाने के लिए जानेमाने कृषि टैक्नोक्रेट और अन्य विशेषज्ञों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करती है. पिछली बार ऐसी समिति साल 2017 में 12वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि के लिए आईसीएआर की विभिन्न योजनाओं के नतीजों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई थी.

आईसीएआर में 8 क्षेत्रीय समितियां हैं, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करती हैं. क्षेत्रीय समितियों की बैठकें समयसमय पर आयोजित की जाती हैं. इन बैठकों में राज्य सरकार के अधिकारी और उस क्षेत्र में स्थित आईसीएआर के सभी अनुसंधान संस्थान हिस्सा लेते हैं. इन बैठकों में संबंधित राज्य में किसानों के सामने आने वाली सभी समस्याओं या मुद्दों को राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा उठाया जाता है और आईसीएआर अनुसंधान संस्थानों अपने समाधान सुझाते हैं.

आईसीएआर इन बैठकों में राज्यों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों/समस्याओं पर शोध भी शुरू करता है. आईसीएआर को जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं के बारे में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से नियमित प्रतिक्रियाएं भी मिलती रहती हैं. शोध और विस्तार के जरीए इन समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी कार्यवाही की जाती है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) विभिन्न कृषि पारिस्थितिक क्षेत्रों, मिट्टी के प्रकारों, जलवायु के प्रकार और फसल की उपयुक्तता के संबंध में प्रौद्योगिकियों की उपयुक्तता के लिए स्थानीय जलवायु और भूभौतिकीय स्थितियों के खास शोध करता है. इस से क्षेत्र विशिष्ट शोध और प्रौद्योगिकी विकास मुमकिन हो पाता है. आईसीएआर कई राज्यों में क्षेत्रीय कृषि चुनौतियों का समाधान करने के लिए फसलों, पशुधन, मछलीपालन और खेती के तरीकों पर स्थानीय शोध के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (एआईसीआरपी) के जरीए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करता है.

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