नई दिल्ली : भारत सरकार ने 23 अगस्त “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” घोषित किया है, क्योंकि इस दिन भारत को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई थी. इसी दिन चंद्रयान-3 मिशन ने विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सौफ्ट लैंडिंग पूरी की और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास प्रज्ञान रोवर को तैनात किया. इस उपलब्धि ने भारत को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना दिया है.
इस ऐतिहासिक उपलब्धि की याद में मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई सैमिनार और प्रदर्शनियां आयोजित कर रहा है.
ये कार्यक्रम विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, इसरो और मत्स्यपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों के सहयोग से आयोजित किए जा रहे हैं. अब तक विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हाइब्रिड मोड में 4000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ 11 सैमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं.
इन आयोजनों के एक भाग के रूप में मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 13 अगस्त, 2024 को कृषि भवन, नई दिल्ली में “मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग” विषय पर एक सैमिनार का आयोजन किया. राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस आयोजन में जार्ज कुरियन, राज्यमंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के साथसाथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति थी.
राजीव रंजन सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन की शानदार सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी. केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मत्स्यपालन क्षेत्र, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों और महत्वपूर्ण उपायों पर प्रकाश डाला.
इस प्रणाली का उपयोग फिशिंग वेसल्स की मौनिटरिंग, कंट्रोल और सरवेलेंस के लिए किया जाता है, जो समुद्र में उन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. 13 तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मेकैनाइज्ड और मोटोराइज्ड दोनों तरह के फिशिंग वेसल्स पर 1,00,000 ट्रांसपोंडर लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिस के लिए 364 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है.
जार्ज कुरियन ने मात्स्यिकी क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों, उपग्रह प्रौद्योगिकियों और वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम में युवा पीढ़ी को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला. राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय रोलआउट प्लान के तहत निःशुल्क ट्रांसपोंडर प्रदान कर के मछुआरों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सैंटर के वैज्ञानिक डा. चंद्र प्रकाश ने मात्स्यिकी क्षेत्र में कम्यूनिकेशन एंड नेविगेशन सिस्टम्स का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिस में विभिन्न अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की विशेषताएं और अनुप्रयोग शामिल थे.
डा. अभिलक्ष लिखी, सचिव, मत्स्यपालन विभाग ने वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम और ओशनसैट -3 जैसी कुछ प्रमुख परियोजनाओं पर इसरो और मत्स्यपालन विभाग के बीच सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला. केंद्रीय सचिव ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया.
सागर मेहरा, संयुक्त सचिव, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और अन्य प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और मत्स्यपालन विभाग विभाग, भारत सरकार और इसरो के बीच सफल सहयोग की सराहना की.
मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार की संयुक्त सचिव नीतू प्रसाद ने मात्स्यिकी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों जैसे वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम के लिए नैशनल रोलआउट प्लान, ओशनसैट का अनुप्रयोग, पोटेंशियल फिशिंग जोन्स (पीएफजेड) आदि के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वेसल्स कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम, जिसे भारत सरकार ने साल 2023 में अनुमोदित किया था, एक महत्वपूर्ण पहल है.
मत्स्यपालन विभाग, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मात्स्यिकी विभाग, इसरो, आईएनसीओआईएस, आईएमएसी, आईसीएआर, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के अधिकारी और अन्य हितधारकों ने कृषि भवन में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया.
इस कार्यक्रम में लगभग 1,000 मछुआरे, छात्र, राज्य मात्स्यिकी विभाग और मत्स्यपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों, आईसीएआर आदि के अधिकारियों ने वर्चुअल मोड द्वारा शामिल हुए.
कृषि भवन में आयोजित कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के मात्स्यिकी विभाग के सहयोग से एफएसआई मुख्यालय, मुंबई में एक सैमिनार और कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिस में मछुआरों, छात्रों, अधिकारियों और नाव मालिकों आदि सहित तकरीबन 300 लोग शामिल हुए.