बेंगलुरु  : ड्रैगन फ्रूट यानी कमलम फल को उच्च मात्रा में एंटीऔक्सीडेंट, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों के कारण सुपर फ्रूट माना जाता है. इस फल का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है और 5-7 सालों के भीतर यह कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह जैसे कई राज्यों में फैल गया है.

भारत में लाल गूदा प्रकार (हाइलोसेरेस पोलिरिज़स) और सफेद गूदा प्रकार (हाइलोसेरेस उंडाटस) अधिक लोकप्रिय हैं. इस फल के बढ़ते महत्व को देखते हुए, भारत सरकार ने एकीकृत बागबानी विकास मिशन के तहत भाबाअनुसं.- सीएचईएस, हिरेहल्ली में कमलम यानी ड्रैगन फल पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दी है. क्षेत्र में इस के तेजी से प्रसार और अधिक उत्पादन की स्थिति में मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर इसे अपनाए जाने को देखते हुए, भाकृअनुप-भाबाअनुसं. ने कमलम फल के संरक्षण, प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन की विधियों के विकास पर अनुसंधान शुरू किया.

बाजार में उपलब्ध कमलम (ड्रैगन) फल के मूल्यवर्धित उत्पादों में पाउडर सब से ऊपर है, जिस का उपयोग विभिन्न उत्पाद बनाने में किया जाता है, जैसे आइसक्रीम, मिल्कशेक, जूस, केक, पुडिंग, कुकीज आदि. बाजार में स्प्रे ड्राइड ड्रैगन फ्रूट पाउडर तकरीबन 4,000 रुपए प्रति किलोग्राम और फ्रीज ड्राइड पाउडर 12,000/- से 15,000/- रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है.

इतनी ऊंची कीमत वाणिज्यिक स्प्रे या फ्रीज ड्राइंग सुविधाओं की स्थापना में आवश्यक उच्च निवेश के कारण है. मुक्त प्रवाह वाला पाउडर प्राप्त करने के लिए 20 फीसदी से 40 फीसदी तक की उच्च मात्रा में योजकों का उपयोग किया जाता है, जो पाउडर में फलों के गूदे की मात्रा को कम कर देते हैं.

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