नई दिल्ली : 21 अगस्त, 2024. विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा “स्कूल शिक्षकों के लिए बैगलेस डेज के माध्यम से कृषि और संबद्ध विज्ञान का परिचय” नामक 5 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है. इस में दिल्ली व एनसीआर के 29 स्कूलों के 58 स्कूल शिक्षक भाग ले रहे हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन पूसा संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. हिमांशु पाठक, सचिव डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद थे. कार्यक्रम में डा. आरसी अग्रवाल, राष्ट्रीय निदेशक, एनएएचईपी और डीडीजी (कृषि शिक्षा) भी उपस्थित थे. डा. टीआर शर्मा, डीडीजी (फसल विज्ञान) एवं निदेशक (प्रभारी), पूसा संस्थान, नई दिल्ली, बिमला कुमारी, उपनिदेशक (व्यावसायिक), शिक्षा विभाग, दिल्ली सरकार, डा. सी. विश्वनाथन, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) और डा. अनुपमा सिंह, अधिष्ठाता, ग्रेजुएट स्कूल और संयुक्त निदेशक (शिक्षा), पूसा संस्थान भी कार्यक्रम में शामिल हुए. कार्यक्रम के दौरान कक्षा 6वीं, 7वीं और 8वीं के लिए 3 महत्वपूर्ण प्रकाशनों का विमोचन किया गया.
डा. सी. विश्वनाथन ने कार्यक्रम के गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का औपचारिक स्वागत किया और प्रशिक्षण के बारे में भी जानकारी दी. डा. हिमांशु पाठक ने अपने भाषण में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आजीविका, रोजगार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और अभी भी तकरीबन 60 फीसदी ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का स्रोत है.
उन्होंने शिक्षकों के महत्व और स्कूली छात्रों को कृषि की मूल बातें समझने और इस में गहरी रुचि विकसित करने के लिए संवेदनशील बनाने में उन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. साथ ही, उन्होंने कृषि और संबद्ध विषयों में सक्रिय रुचि रखने वाले युवाओं और स्कूली छात्रों के विकास के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
डा. आरसी अग्रवाल ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने, किसानों को उत्पादक और उद्यमी दोनों बनाने में कृषि शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने की अत्यधिक जरूरत है, जिस के लिए भारत में कृषि शिक्षा प्रणाली को और अधिक विकसित करना होगा.
डा. अनुपमा सिंह ने स्कूलों के युवाओं के बीच कृषि को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया. उन्होंने कृषि शिक्षा में शामिल विविधता और विज्ञान पर भी प्रकाश डाला और कृषि में कैरियर के अवसरों को रेखांकित किया.
बिमला कुमारी ने प्रशिक्षण में भाग लेने जा रहे शिक्षकों को बधाई दी और हरित क्रांति के दौरान पूसा संस्थान द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला.
कार्यक्रम का समापन प्रशिक्षण समन्वयक डा. अलका सिंह, अध्यक्ष (कृषि अर्थशास्त्र) द्वारा दिए गए औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन और उस के बाद समूह फोटोग्राफ के साथ हुआ. इन 5 दिनों के व्यावहारिक प्रशिक्षण के तहत शिक्षकों को कई कृषि विषयों से अवगत कराया जाएगा.