नई दिल्ली : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने नई दिल्ली में देवेश चतुर्वेदी, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. इस आयोजन में देश में कृषि सांख्यिकी में सुधार के उद्देश्य से नवीनतम पहलों पर चर्चा और विचारविमर्श करने के लिए सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी एक मंच पर आए. इन पहलों का उद्देश्य कृषि सांख्यिकी की सटीकता, विश्वसनीयता और पारदर्शिता को बढ़ाना है, जो नीति निर्माण, व्यापार निर्णयों और कृषि योजना बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
इस सम्मेलन का मुख्य फोकस कृषि उत्पादन अनुमानों को बढ़ाने और डेटा सटीकता को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर रहा. इस साल के बजट भाषण में घोषणा किए गए डिजिटल फसल सर्वेक्षण ने फसल रकबा अनुमान की सटीकता का मार्ग प्रशस्त किया. यह फसलों के जियो टैग रकबे के साथ खेत स्तरीय डेटा भी उपलब्ध कराएगा, जो सचाई के एकमात्र स्रोत के रूप में काम करेगा.
देशभर में सभी प्रमुख फसलों के लिए वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किए गए फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर उपज की गणना करने के लिए डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) शुरू किया गया है. इन पहलों से सीधे खेत से लगभग वास्तविक समय और विश्वसनीय डेटा उपलब्ध होने की उम्मीद है, जिस से फसल उत्पादन का कहीं अधिक सटीक अनुमान लगाना संभव हो जाएगा.
इस सम्मेलन में फसल उत्पादन के आंकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए रिमोट सेंसिंग, भूस्थानिक विश्लेषण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. संशोधित एफएएसएएल (अंतरिक्ष, कृषि मौसम विज्ञान और भूआधारित अवलोकनों का उपयोग करते हुए कृषि उत्पादन की भविष्यवाणी) के माध्यम से फसल उत्पादन के आंकड़े जुटाने में प्रौद्योगिकी के संचार के संबंध में कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर विस्तार से चर्चा की गई.
यह अद्यतन संस्करण 10 प्रमुख फसलों के लिए सटीक फसल मानचित्र और रकबे का अनुमान जुटाने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का लाभ उठाता है. फसल उपज के पूर्वानुमानों के संबंध में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान और आर्थिक विकास संस्थान जैसी विभिन्न विशेषज्ञ एजेंसियों के साथ सहयोग किया गया है.
सम्मेलन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यूपीएजी पोर्टल का उपयोग कर के कृषि डेटा का त्रिकोणीय सर्वेक्षण और सत्यापन करना था. यह प्लेटफार्म विभिन्न स्रोतों से डेटा का क्रास सत्यापन करने की अनुमति देगा, जिस से कृषि सांख्यिकी की मजबूती सुनिश्चित होगी. इस में एक उन्नत डेटा प्रबंधन प्रणाली है, जो सटीक फसल अनुमान जुटाने के लिए विभिन्न स्रोतों को एकीकृत करती है. यह प्रणाली साक्ष्य आधारित निर्णय लेने में मदद करती है और नीति निर्माताओं और हितधारकों को कृषि डेटा संबंधी पहुंच के लिए केंद्रीय हब के रूप में काम करती है.
इस सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के साथ जोड़ने पर भी जोर दिया गया, ताकि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा चरणबद्ध योजना के साथ फसल कटाई प्रयोगों की निगरानी को बढाया जा सके और स्वतंत्र एजेंसी द्वारा सीसीई एवं राज्य स्तरीय उपज अनुमानों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके.
इस सम्मेलन की विशेषता एक विस्तृत प्रस्तुति रही, जिस में इन नई पहलों के लाभों के बारे में विस्तार से बताया गया. इस प्रस्तुति में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे डिजिटल सर्वेक्षण और उन्नत तकनीकों को अपनाने से डेटा संग्रह अधिक कुशल होगा, उस में विसंगतियां कम होंगी और इस से कृषि क्षेत्र में बेहतर नीति निर्माण में सहायता मिलेगी.
देवेश चतुर्वेदी ने कृषि सांख्यिकी की गुणवत्ता बढ़ाने के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच निरंतर सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने राज्यों को इन नई पहलों को तुरंत अपनाने और उन का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
यह सम्मेलन इन सुधारों के महत्व पर आम सहमति बनाने और सभी राज्यों द्वारा कृषि सांख्यिकीय ढांचे को मजबूत करने के लिए मिल कर काम करने की प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुआ, जो भारत में कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.