सबौर : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का अखिल भारतीय परियोजना ताड़ एवं नारियल का वार्षिक बैठक का आयोजन बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में किया गया. भारत के पूर्वी क्षेत्र में इस तरह की यह पहली बैठक है, जहां ताड़ और नारियल समूह के पेड़ों जैसे ताड़, नारियल, सुपाड़ी, औयल पाम एवं कोकोबा के विकास पर विमर्श किया जा रहा है. साथ ही, पूरे भारत में चल रही परियोजनाओं का अवलोकन और आने वाले वर्ष की तकनीकी योजना की रूपरेखा तैयार की जा रही है. 21 अगस्त से 23 अगस्त तक चलने समन्वित ताड़ परियोजना का आयोजन आईसीएआर – अखिल भारतीय परियोजना की 33वी वार्षिक समूह बैठक में देश के विभिन्न भागों से ताड़ और नारियल के विभिन्न समूहों में काम करने वाले वैज्ञानिकों ने भाग लिया. इस में आईसीएआर, नई दिल्ली के एडीजी, उद्द्यान, डा. वीबी पटेल, केंद्रीय रोपण फसल शोध संस्थान (आईसीएआर-सीपीसीआरआई), कासरगोड के निदेशक डा. केबी हेबर, भारतीय तेल ताड़ अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईओपीआर) के निदेशक डा. के. सुरेश सहित 30 वैज्ञानिक समेत देश के विभिन्न राज्यों के कृषि विश्वविद्यालय के लगभग 60 वैज्ञानिकों ने इस बैठक में हिस्सा लिया.
इस परियोजना के योजना समन्वयक डा . अगस्टिन जेरार्ड हैं, जिन के नेतृत्व में कार्यक्रम बिहार कृषि विश्वविद्यालय में हुआ.
कार्यालय की शुरुआत अतिथियों के स्वागत के साथ हुई. उद्घाटन सत्र में बिहार कृषि विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर आधारित वृत्तचित्र “सफरनामा” के प्रदर्शन के साथ हुआ.
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि यह हमारे लिए हर्ष का विषय है कि पूर्वी भारत में इस तरह की पहली बैठक बिहार कृषि विश्वविद्यालय में हुई है. उन्होंने कहा कि आज बिहार लीची, मखाना और शहद उत्पादन में पूरे देश में अव्वल है और इस में विश्वविद्यालय के शोध और तकनीकी का बड़ा योगदान है.
कुलपति डा. डीआर सिंह ने देशभर से आए विशेषज्ञों से बिहार में ताड़ और नारियल कुल के वृक्षों की संभावना पर मंथन करने का अनुरोध किया. साथ ही, यहां से निकले निष्कर्ष के उपरांत बिहार के किसान को कुछ नए फसल जैसे तेल ताड़ (Oil Palm) और कोकोवा की खेती हेतु सुझाव भी देने का अनुरोध किया.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार में ताड़ के लिए अनुकूल जलवायु है. अगर ताड़ के बौने पेड़ विकसित किए जाएं, तो किसानों को ज्यादा सुविधा होगी. कुलपति ने सभा को अवगत कराया कि बीएयू ने पिछले 18 महीनों में 14 पेटेंट हासिल किए हैं, जिन में से 3 पेटेंट पालमिरा यानी ताड़ के उत्पाद पर है. उन्होंने ताड़ समूह की फसलों में उद्यमिता की अपार संभावना को देखते हुए भी काम करने को कहा.
आईसीएआर, नई दिल्ली के एडीजी, उद्यान डा. वीबी पटेल, बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उद्यान के क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों की चर्चा की. साथ ही, विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी, शोध और प्रसार के क्षेत्र में हासिल की गई असाधारण उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला.
उन्होंने विश्वास जताया कि यह बैठक बिहार के किसानों के लिए कुछ विशेष निष्कर्ष जरुर अनुशंसित करेगा. योजना समन्वयक डा. अगस्टिन जेरार्ड ने एक साल की योजना को प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम में स्वागत भाषण निदेशक शोध डा. एके सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. रूबी रबी रानी ने किया. इस अवसर पर सभी निदेशक और अधिष्ठाता शामिल रहे.