नई दिल्ली : मत्स्यपालन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है. यह राष्ट्रीय आय, निर्यात और खाद्य सुरक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 'सूर्योदय क्षेत्र' के नाम से जाना जाने वाला यह क्षेत्र लगभग 3 करोड़ लोगों, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों के लोगों को आजीविका प्रदान करता है. विश्व के दूसरे सब से बड़े मछली उत्पादक के रूप में भारत ने 175 लाख टन (साल 2022-23 में) का रिकौर्ड उत्पादन प्राप्त किया. यह कुल वैश्विक मछली उत्पादन में 8 फीसदी का योगदान है.

इस क्षेत्र का महत्व देश के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में 1.09 फीसदी और कृषि जीवीए में 6.724 फीसदी से अधिक योगदान के रूप में दिखता है. काफी अधिक विकास संभावनाओं के साथ मत्स्यपालन क्षेत्र को टिकाऊ, जिम्मेदार और समावेशी विकास के लिए केंद्रित नीति व वित्तीय सहायता की जरूरत है.

भारत सरकार ने पीएमएमएसवाई, एफआईडीएफ, नीली क्रांति और पीएमएमकेएसएसवाई आदि जैसी विभिन्न योजनाओं व पहलों के माध्यम से मत्स्यपालन क्षेत्र में बदलाव की अगुआई की है. इस के तहत साल 2015 के बाद से अब तक का सब से अधिक 38,572 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है. इन नीतियों और पहलों के परिणामस्वरूप भारत वैश्विक मत्स्य उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. महत्वपूर्ण निर्यात बाजारों में विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भारत का समुद्री खाद्य निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया.

भारत ने साल 2023-24 के दौरान 60,523.89 करोड़ रुपए का 17.8 लाख टन समुद्री खाद्य (सीफूड) निर्यात किया. पिछले एक दशक में झींगापालन के निर्यात में तेजी आई है. झींगा निर्यात लगभग 107 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ दोगुने से अधिक हो गया है. यह 19,368 करोड़ रुपए (साल 2013-14 में) से बढ़ कर 40,013.54 करोड़ रुपए (साल 2023-24 में) हो गया है. इस के परिणामस्वरूप समुद्री खाद्य निर्यात में काफी शानदार प्रगति हुई है. यह पिछले 10 सालों में 14 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि की दर से बढ़ा है.

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