नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले 2 सालों के लिए 2,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 'मिशन मौसम' को आज रजामंदी दी है.

'मिशन मौसम' को मुख्य रूप से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा. इस मिशन के अंतर्गत भारत के मौसम और जलवायु संबंधी विज्ञान, अनुसंधान एवं सेवाओं को जबरदस्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल होने की परिकल्पना की गई है. यह मौसम की चरम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने में नागरिकों और देश के प्रत्येक उपयोगकर्ता सहित हितधारकों को बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद करेगा. यह महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम लंबे समय में समुदायों, क्षेत्रों और इकोसिस्टम की क्षमता एवं अनुकूलन को व्यापक बनाने में सहायता करेगा.

'मिशन मौसम' के हिस्से के रूप में, भारत वायुमंडलीय विज्ञान, विशेष रूप से मौसम निगरानी, मौडलिंग, पूर्वानुमान और प्रबंधन में अनुसंधान एवं विकास तथा क्षमता का तेजी से विस्तार करेगा. उन्नत अवलोकन प्रणालियों, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत कर के, 'मिशन मौसम' अधिक स्पष्टता के साथ मौसम की भविष्यवाणी के लिए एक नया मानदंड स्थापित करेगा.

इस मिशन के केंद्र में अस्थायी और स्थानिक पैमाने पर अत्यधिक सटीक एवं समय पर मौसम तथा जलवायु की जानकारी प्रदान करने के लिए अवलोकन और समझ में सुधार करना शामिल होगा, जिस में मानसून के पूर्वानुमान, वायु गुणवत्ता के लिए चेतावनी, मौसम की चरम घटनाएं और चक्रवात, कुहरे, ओले और वर्षा आदि के प्रबंधन के लिए मौसम संबंधी उपाय, क्षमता निर्माण और जागरूकता पैदा करना शामिल हैं.

'मिशन मौसम' के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों में उन्नत सैंसर और उच्च प्रदर्शन वाले सुपर कंप्यूटर के साथ अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रह प्रणालियों की तैनाती, बेहतर पृथ्वी प्रणाली मौडल का विकास और वास्तविक समय डाटा प्रसार के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली शामिल होगी.

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