हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय में ‘कपास की खेती में गुलाबी सुंडी और बरसात के प्रभाव’ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा व हकृवि के कपास अनुभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित रहे.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने किसानों की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करने के लिए हकृवि के वैज्ञानिकों एवं कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को आपसी तालमेल के साथ काम करने का आह्वान किया.

गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी के बारे में उन्होंने किसानों को जागरूक करने के लिए गांवों में प्रदर्शन प्लांट लगाने के साथ फसल चक्र में भी बदलाव करने का सुझाव दिया.

उन्होंने आगे कहा कि जहां भी भूमि में पोषक तत्वों की कमी है, वहां पर किसान कपास के साथ दलहनी फसलें उगा सकते हैं. उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान उन के खेत में जा कर करने पर भी जोर दिया.

साथ ही, कपास की फसल के लिए आने वाले 20 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इसलिए कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारी खेतों में जा कर लगातार फीडबैक लेने के साथसाथ एडवाइजरी, मौसम पर नजर व प्रचारप्रसार के माध्यम से किसानों को जागरूक करें.

उन्होंने देशी कपास का बीज तैयार करने के लिए कृषि अनुभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशानिर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रिंट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से किसानों को प्रत्येक फसल से संबंधित जानकारी सुनिश्चित की जाए. उन्होंने कार्यशाला में अधिकारियों एवं किसानों के साथसाथ पेस्टीसाइड विक्रेताओं को भी प्रशिक्षण देने का आह्वान किया.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक डा. आरपी सिहाग ने कहा कि कपास फसल की समस्याओं के समाधान एवं उत्पादन में बढ़ोतरी को ले कर गत 3-4 साल के दौरान हकृवि एवं विभाग के अधिकारियों ने आपसी तालमेल के साथ संगठित हो कर काम किया है. गुलाबी सुंडी एवं उखेड़ा की समस्याओं से निबटने के लिए गांव में प्रदर्शन प्लांट आयोजित कर के किसानों को जागरूक किया गया है.

अनुसंधान निदेशक डा. राजबीर गर्ग ने कहा कि कपास फसल के लिए 15 दिन की एडवाइरी के स्थान पर इसे 7 दिन कर दिया गया है. साथ ही, विश्वविद्यालय द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों की जानकारी किसानों को शीघ्र उपलब्ध करवाई जा रही है.

कुलसचिव डा. पवन कुमार ने कहा कि कपास एक आमदनी वाली फसल है. गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष गुलाबी सुंडी के प्रकोप में कमी आई है. वहीं कपास अनुभाग के अध्यक्ष डा. करमल सिंह ने कहा कि किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाने के साथसाथ विभिन्न प्रकार की बीमारियों के बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों को जागरूक किया जाएगा, ताकि किसानों को भी जागरूक किया जा सके.

मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. रमेश यादव ने कार्यशाला में धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया. इस एकदिवसीय कार्यशाला में हकृवि एवं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रदेशभर के अधिकारियों ने भाग लिया.

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