जिन किसानों ने धान की खेती की है, वे फसल में नाइट्रोजन की दूसरी व अंतिम टौप ड्रैसिंग बाली बनने की प्रारंभिक अवस्था यानी रोपाई के 50-55 दिन बाद कर दें. वहीं अधिक उपज वाली धान की प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 65 किलोग्राम यूरिया और सुगंधित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 15 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 33 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें.

धान में बालियां फूटने और फूल निकलने के दौरान यह सुनिश्चित करें कि खेत में पर्याप्त नमी हो. धान की फसल को भूरा फुदका से बचाने के लिए खेत से पानी निकाल दें. इस कीट का प्रकोप पाए जाने पर नीम औयल 1.5 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

सरसों की अगेती किस्मों, जो कि खरीफ और रबी के मध्य में बोई जाती हैं, की बोआई 15 से 30 सितंबर (September) के बीच अवश्य कर दें. साथ ही, बीजजनित रोगों से बचाव और सुरक्षा के लिए प्रमाणित बीज ही बोएं.

बीजशोधन के लिए थीरम व कारवैक्सिन का मिश्रण 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के अनुसार उपचारित करें. मैंकोजेब या बावस्टीन का 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से भी उपचारित किया जा सकता है.

सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बोआई से पहले 2.2 लिटर प्रति हेक्टेयर फ्लूक्लोरोलिन का 600-800 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.

यदि बोआई से पहले खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया है, तो 3.3 लिटर पेंडीमिथेलीन (30 ईसी ) को 600-800 लिटर पानी में घोल कर बोआई के 1-2 दिन बाद छिड़काव करें.

सरसों की अगेती किस्मों पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों-27, पूसा सरसों- 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक व पूसा महक की बोआई की जा सकती है.

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