नई दिल्ली : भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) ने राष्ट्रीय कृषि संहिता (एनएसी) के विकास में तेजी लाने के लिए पिछले दिनों एक कार्यशाला आयोजित की. कृषि क्षेत्र के महत्व, संसाधनों और नवीनतम प्रौद्योगिकियों के अधिकतम उपयोग को समझते हुए बीआईएस ने एनएसी विकसित करने का प्रस्ताव रखा, जो फसल चयन से ले कर कृषि उपज के भंडारण तक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियां सुनिश्चित करेगा.

एनएसी में उभरती कृषि प्रौद्योगिकियों, नवीन कृषि पद्धतियों और पूरे भारत में बदलती क्षेत्रीय स्थितियों को शामिल करने की परिकल्पना की गई है. इस कोड को विकसित करते समय जिन क्षेत्रों में मानकीकरण की कमी है, उन की पहचान की जाएगी और उन के लिए मानक विकसित किए जाएंगे.

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय मानकीकरण प्रशिक्षण संस्थान (एनआईटीएस), नोएडा में आयोजित किया गया था, जिस में केंद्र और राज्य सरकारों, आईसीएआर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और उद्योग संघों के हितधारकों ने भाग लिया. यह बीआईएस द्वारा विकसित अन्य सफल कोडों जैसे कि राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी), निर्माण और बिजली के लिए राष्ट्रीय विद्युत संहिता (एनईसी) की तर्ज पर है.

बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि मशीनरी, उपकरण और जानकारी के लिए मानक मौजूद हैं, लेकिन राष्ट्रीय कृषि संहिता (एनएसी) नीति निर्माताओं को आवश्यक सूचना और किसान समुदाय को मार्गदर्शन प्रदान कर के भारतीय कृषि में गुणवत्ता संस्कृति को सक्षम करने के रूप में काम करेगी. एनएसी के विकास के लिए मुख्य विचारों में इस का दृष्टिकोण, संरचना, जुड़ाव के लिए विभिन्न तरीके, संस्थागत तत्परता और प्रदर्शनों का महत्व शामिल होगा.

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