झाबुआ : कलक्टर नेहा मीना के मार्गदर्शन में उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास एनएस रावत के द्वारा निरंतर प्रयास से जिले के किसानों को उन की आवश्यकता के अनुरूप उर्वरक की आपूर्ति भी की जा रही है और उर्वरक भंडारण एवं वितरण कार्य गतिशील है. अद्यतन स्थिति में जिले में 8927 मीट्रिक टन यूरिया, डीएपी, 2488 मीट्रिक टन, एनपीके 3040 मीट्रिक टन, एमओपी 521 मीट्रिक टन और एसएसपी 1624 मीट्रिक टन भंडारित हो कर जिले के किसानों के लिए उपलब्ध है.

रबी के सीजन में किसानों के द्वारा बोनी के समय आधार डोज के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है. विगत कई वर्षों से यह देखने में आया है कि किसानों द्वारा एक ही प्रकार के उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी, सुपर फास्फेट का ही प्रयोग किया जा रहा है. इस से एक ही प्रकार के उर्वरक के प्रति किसानों की निर्भरता बनी हुई है, जिस की पूर्ति अन्य उर्वरक जैसे 12:32:16 एवं 10:26:26 मिश्रित उर्वरकों का उपयोग कर किसान डीएपी एवं यूरिया पर निर्भरता कम कर सकते हैं. ये मिश्रित उर्वरक समितियों एवं बाजारों में निजी विक्रेताओं के पास भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं.

रबी फसल गेहूं के लिए प्रति हेक्टेयर 120:60:40 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन, सिंगल सुपर फास्फेट, पोटाश की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसान पहले विकल्प के रूप में 260 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 67 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का उपयोग कर सकते है.

गेहूं फसल के लिए दूसरे विकल्प के रूप में किसान 168 किलोग्राम यूरिया, 188 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 एवं पोटाश 27 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते है, वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 150 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 10:26:26 एवं पोटाश 25 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं. इन तीनों विकल्पों से गेहूं फसल के लिए जरूरी तत्वों की पूर्ति की जा सकती है.

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