दमोह : किसान गेहूं, सोयाबीन, मक्का एवं धान आदि की फसल आने पर हार्वेस्टर चलने के बाद खेत में बचे हुए ठूंठ यानी फसल अवशेष (नरवाई) को जलाते हैं, जिस से पर्यावरण प्रदूषित होता है. मिट्टी के पोषक तत्व एवं लाभदायक जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं. इस के बचाव के लिए फसल के अवशेष (नरवाई) प्रबंधन करना अति आवश्यक है.
सहायक कृषि यंत्री, कृषि अभियांत्रिकी, दमोह ने बताया नरवाई प्रबंधन के लिए नवीन कृषि यंत्रों का प्रयोग करना लाभदायक है जैसे, रोटावेटर, मल्चर, श्रेडर के उपयोग से फसल अवशेष (डंठल) को मिट्टी में मिला देते हैं. सुपर सीडर यंत्र एक ऐसा नवीन कृषि यंत्र है, जिस में धान फसल की कटाई के बाद बिना खेत की तैयारी के रबी फसल की बोनी कर सकते हैं, जिस में समय एवं मेहनत कम लगती है. स्ट्रा रीपर यंत्र से गेहूं की हार्वेस्टर से कटाई करने के बाद खड़ी नरवाई में इस मशीन का उपयोग करने से पशुओं के लिए भूसा तैयार किया जाता है एवं नरवाई को जलाना नहीं पड़ता है.
उन्होंने आगे कहा कि इन यंत्रों के उपयोग से नरवाई प्रबंधन के साथसाथ मिट्टी की जलधारण क्षमता एवं जीवांश की मात्रा बढ़ जाती है. इस से मिट्टी की उपज बढ़ने के साथसाथ पशुओं के आहर की उपलब्धता हो जाती है. उपरोक्त सभी नरवाई प्रबंधन यंत्रों पर कृषि अभियांत्रिकी मध्य प्रदेश द्वारा अनुदान दिया जाता है. कृषि अभियांत्रिकी की वैबसाइट dbt.mpdage.org पर जा कर किसान अपना पंजीयन कर उपरोक्त यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं.