उदयपुर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने दिनांक 07 अक्टूबर 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने तथा कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए.

यह सहमति पत्र दोनों संस्थानों के संसाधनों को साझा करने, छात्र/संकाय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करने, खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, देश की पोषण एवं आजीविका सुरक्षा को पूरा करने के लिए तथा मूंगफली की उत्पादकता एवं गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है.

इस समझौता पत्र पर कुलपति, डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के निदेशक डाॅ. एसके बेरा ने हस्ताक्षर किये.

इस अवसर पर कुलपति डाॅ कर्नाटक ने बताया कि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित मूंगफली अनुसंधान परियोजना वर्ष 1993 में आरंभ हुई और जिसके तहत मूंगफली अनुसंधान और इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. विश्वविद्यालय द्वारा मूंगफली की किस्म प्रताप मूंगफली -3 ( यूजी 116) विकसित की है. उन्होंने बताया कि राजस्थान भारत का दूसरा सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक राज्य है.वर्ष 2023-24 में राजस्थान में लगभग 18.95 लाख टन मूंगफली उत्पादन होने का अनुमान है, जो भारत का लगभग 17-18 प्रतिशत हिस्सा है. अनुसंधान के क्षेत्र में भी दोनों संस्थाए आपसी सहयोग से कार्य करेंगी जिससे विश्वविद्यालय, मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ तथा देश के राजस्व अर्जन में भी वृद्धि होगी.

अनुसंधान निदेशक, डाॅ. अरविंद वर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने गेहूं, मक्का, चना और मूंगफली जैसी फसलों की कई उच्च उपज वाली, सूखा-सहिष्णु और रोग-प्रतिरोधी किस्में विकसित की हैं, जो प्रदेश की कृषि उत्पादकता में योगदान दे रही हैं. यह एमपीयूएटी और आईसीएआर-डीजीआर के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है कि हम उन्नत भारत अभियान के तहत तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के अपने मिशन हेतु एक साथ मिल कर कार्य करेंगे.

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