उदयपुर: 21 अक्तूबर, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के सस्य विज्ञान फार्म एवं महाविद्यालय खेल प्रांगण पर वृक्षारोपण कार्यक्रम ‘एक पेड़ मां के नाम’ की निरंतरता में 200 अशोक के पौधों का रोपण किया गया, जिस में महाविद्यालय के नवआगंतुक बीएससी (कृषि) स्नातक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा यह संकल्प लिया गया कि इस पौधे की अध्यापन अवधि के दौरान पूरे 4 वर्ष तक पौधे के पूरे रखरखाव की जिम्मेदारी निभाएंगे.
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक द्वारा शुभारंभ करते हुए वृक्षों के महत्व व उपयोगिता पर विस्तृत जानकारी देते हुए पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने में सहयोग पर बल दिया. कार्यक्रम में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. आरबी दुबे द्वारा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इन पौधों के रोपण के साथ ही समयसमय पर निरंतर रखरखाव का पूरा ध्यान रखने की बात दोहराई एवं विद्यार्थियों को बताया कि यह पौधा संबंधित विद्यार्थी की स्नातक डिगरी के लिए अनिवार्य होगा.
कार्यक्रम के समन्यक एवं सहायक निदेशक शारीरिक शिक्षा डा. कपिल देव आमेटा ने बताया कि ये लगाए गए अशोक के पौधे महाविद्यालय प्रांगण की सुंदरता के साक्षी होंगे.
इस अवसर पर ग्रीन पीपल सोसायटी के यासीन पठान, शिवजी गौड़, महाविद्यालय के विभागाध्यक्षों, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों एवं वरिष्ठ विद्यार्थियों की उपस्थिति रही. वृक्षारोपण कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा. एसएस लखावत एवं प्रशासनिक अधिकारी डा. रमेश बाबू द्वारा समस्त सहभागियों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया.
एकवर्षीय कृषि आदान विक्रेता पाठ्यक्रम के 5वें बैच का प्रमाणपत्र वितरित
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि कृषि आदान विक्रेता मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रख कर काम करें, तो भारत की कृषि नए आयामों को स्थापित करने में अपना अमूल्य योगदान प्रस्तुत करेगी. कृषि आदान विक्रेता को अच्छा प्रेक्षणकर्ता, मार्गदर्शक, प्रतिनिधि, सलाहकार, समन्वयक, दूरदर्शी, प्रशासक एवं योजक होना चाहिए, ताकि वह देश के विकास में अपना अह्म योगदान दे सके.
इस अवसर पर राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. आरबी दुबे ने अपने उद्बोधन में प्रजनक बीज के बारे में बताया और डा. आरएल सोनी, निदेशक प्रसार शिक्षा ने नवीनतम् कृषि प्रौद्योगिकी द्वारा कृषि नवाचार आदि के बारे में अभ्यर्थियों को जानकारी दी.
कार्यक्रम में डा. एमके महला, आचार्य कीट विज्ञान एवं पाठ्यक्रम सह समन्वयक ने बताया कि वर्तमान में एकवर्षीय कृषि आदान विक्रेता पाठ्यक्रम में राजस्थान के 40 अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं और अब तक 280 अभ्यर्थी इस पाठ्यक्रम का लाभ ले कर अपना व्यापार सुचारू रूप से चलाते हुए अपना जीवनयापन कर रहे हैं.
पाठ्यक्रम के समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष डा. रमेश बाबू ने पाठ्यक्रम में उपस्थित अभ्यर्थियों को उचित कीटनाशकों के उपयोग के बारे में बताया और उपस्थित संकाय सदस्यों व प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन उद्यान विज्ञान विभाग के सहप्राध्यापक एवं सहायक निदेशक शारीरिक शिक्षा डा. कपिल देव आमेटा ने किया.