उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल मुख्यालय में स्थित औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र बेरोजगारों को बागबानी के जरीए रोजगार देने के मामले में पूरे देश में अपना अलग महत्त्व रखता है. यह वही केंद्र है, जिस ने पूसा द्वारा खोजी गई विश्वविख्यात आम्रपाली, मल्लिका व गौरजीत प्रजातियों को पूर्वांचल की माटी के लायक बनाया. यहां से तैयार की गई फलों की नर्सरी देश के कोनेकोने में जाती है, जिस से किसानों और बागबानी के शौकीन लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस केंद्र में शुरू हुए सैंटर औफ एक्सीलेंस फौर फ्रूट के जरीए प्रदेश के किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण व सहायता मुहैया कराए जाने की शुरुआत की गई है, जिस के लिए बंजरिया इलाके को शोध व प्रशिक्षण के लिए चुना गया है. जिला मुख्यालय पर औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र का चयन किया गया है.

बस्ती जिले में औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना साल 1956-57 में डा. शिवराज सिंह तेवतिया द्वारा की गई थी. यह केंद्र पहले फल शोध केंद्र के रूप में कार्यरत रहा. बाद में साल 1962-63 में 20.3 हेक्टेयर क्षेत्रफल में राजकीय संतति उद्यान केंद्र बंजरिया को नर्सरी व शोध के लिए अलग से विकसित किया गया. वर्तमान में यहां शोध व प्रशिक्षण के साथसाथ बागबानी को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस के द्वारा फल, फूल व सब्जियों की फसलों व खेती में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए लगातार शोध कार्य किए जा रहे हैं. इस के साथ ही इस केंद्र पर विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित नवीन प्रौद्योगिकियों व प्रजातियों के मूल्यांकन व प्रसार का काम भी किया जा रहा है.

पौधों की नर्सरी : औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र पर पौधों की नर्सरी तैयार करने के अलावा बंजरिया में बड़े पैमाने पर पौधों की नर्सरी तैयार किए जाने का काम किया जा रहा है. यहां कलम विधि, गूटी विधि आदि से नर्सरी के पौधे तैयार किए जाते हैं. केंद्र की नर्सरी से हर साल लाखों की तादाद में तैयार किए गए पौधों को प्रदेश से बाहर भी भेजा जाता है. इस केंद्र के पौधों की मांग दूसरे प्रदेशों में अधिक होने के चलते इसी से सटे क्षेत्र में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत साल 2008-09 में एक बड़ी आधुनिक आदर्श पौधशाला का विस्तार किया गया है, जिसे वर्तमान में राष्ट्रीय बागबानी बोर्ड द्वारा 4 स्टार रैंकिंग से नवाजा गया है.

इस केंद्र द्वारा देशविदेश से इकट्ठा किए गए फलों के पौधों की विभिन्न प्रजातियों को जलवायु अनुकूल विकसित करने में सफलता पाई गई है. इस में आम की 167, लीची की 6, अमरूद की 56, आंवले की 9, बेल की 16, बेर की 13, केले की 116, कटहल की 17, अंगूर की 2, चीकू की 2 और दूसरे फलों और सब्जियों की तमाम प्रजातियां भी विकसित की गई?हैं, जिन्हें देश के कोनेकोने में इस केंद्र के जरीए भेजने का काम किया जा रहा है.

Horticultural Experiment and Training Center

आधुनिक पुष्प उत्पादन केंद्र में तैयार होती है नर्सरी : औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र के अधीन साल 2002-03 में आधुनिक पुष्प उत्पादन केंद्र की स्थापना की गई है, जहां देशीविदेशी फूलों और सजावटी पौधों की हजारों प्रजातियों की नर्सरी तैयार की जाती है. यहां पर तैयार होने वाले पौधे निजी नर्सरियों के मुकाबले बहुत ही सस्ते दामों पर मिलते हैं. इसी वजह से जिले के बाहर से भी लोग इस नर्सरी के पौधे खरीद कर ले जाते हैं. यहां विशेषज्ञों की टीम दिनरात फूलों और सजावटी पौधों की नई प्रजातियों को तैयार करने पर काम कर रही है. इस केंद्र में फूलों और सजावटी पौधों के आलावा बरगद, पीपल, पाकड़ और अन्य प्रजातियों के बोनसाई पौधे भी बिक्री के लिए मौजूद रहते हैं.

मशरूम उत्पादन केंद्र के जरीए बेरोजगारों को मिलता है प्रशिक्षण : औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र के मशरूम विभाग में पूरे साल लोगों को बहुत मामूली फीस पर प्रशिक्षण व तकनीकी सहायता प्रदान कर के उन्हें रोजगार से जोड़ने की कोशिश की जा रही?है. यहां से कोई भी व्यक्ति प्रशिक्षण ले सकता है. इस केंद्र से प्रशिक्षण लेने के बाद मशरूम उत्पादन के लिए स्पान यानी मशरूम के बीज भी मुहैया कराए  जाते हैं. यहां स्पान तैयार करने का एक संयंत्र भी लगाया गया है, जिस के जरीए 7-8 क्विंटल मशरूम बीज आसानी से तैयार किए जाते हैं. प्रशिक्षण के बाद लोगों को बीजों के लिए कहीं दूसरी जगह पर भटकना नहीं पड़ता है.

मधुमक्खीपालन प्रशिक्षण : औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र के कीट अनुभाग के प्रभारी डा. आरबी सिंह ने बताया कि केंद्र के कीट अनुभाग के अधीन किसानों और युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए मधुमक्खीपालन का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस के जरीए कोई भी आदमी मधुमक्खीपालन से जुड़ी तमाम जानकारियां हासिल कर सकता है. यह प्रशिक्षण 3 महीने के बैच में होता है. मधुमक्खीपालन में रुचि रखने वाले किसान व बेरोजगार युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर के शहद उत्पादन का व्यवसाय अपना सकते हैं. प्रशिक्षण के दौरान इस केंद्र में मुफ्त छात्रावास का इंतजाम भी है.

Horticultural Experiment and Training Center

कृषक प्रशिक्षण केंद्र के जरीए किसानों को मिलती है जानकारी : किसानों को  बागबानी व खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से जोड़ने के इरादे से 29 जून, 2002 को कृषक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई. इस के जरीए किसानों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथसाथ तकनीकी हस्तांतरण के माध्यम से रोजगारपरक बागबानी से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

कृषक प्रशिक्षण केंद्र के जरीए पूर्वी उत्तर प्रदेश के बनारस मंडल, आजमगढ़ मंडल, फैजाबाद मंडल, गोरखपुर मंडल व बस्ती मंडल के 22 जिलों के किसानों और बेरोजगार युवाओं को बागबानी और सब्जी उत्पादन से जोड़ कर उन्हें रोजगार मुहैया कराए जाने के मकसद से प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है. यहां हर साल करीब 2 हजार किसानों को प्रशिक्षित किया जाता है. यहां किसानों के लिए मुफ्त हास्टल व भोजन का भी इंतजाम है.

सैंटर औफ ऐक्सीलेंस फौर फ्रूट के जरीए मिलेगा बढ़ावा : बस्ती मंडल के उद्यान विभाग में संयुक्त निदेशक डा. आरके तोमर ने बताया कि इजराईल के सहयोग से बस्ती जिले में सैंटर औफ ऐक्सीलेंस फौर फ्रूट की स्थापना की गई है. इस के लिए करीब 21 हेक्टेयर में फैले राजकीय संतति उद्यान को प्रदर्शन क्षेत्र के लिए व केंद्रीय पौधशाला को किसानों के क्षमतावर्धन व तकनीकी हस्तांतरण के लिए चुना गया है. इस सैंटर के जरीए बागबानी के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आने की उम्मीद हैं. यह केंद्र न केवल फलों की नई प्रजातियों को विकसित करने के लिए काम करेगा, बल्कि फलों की खेती में आने वाली समस्याओं के हल व बागबानी को फायदेमंद बनाने के उपाय भी सुझाएगा.

Horticultural Experiment and Training Center

खाद्य प्रसंस्करण अनुभाग से फलसब्जियों की प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग : भंडारण व उचित मूल्य न मिलने की समस्या से नजात दिलाने के लिए इस केंद्र द्वारा खाद्य प्रसंस्करण के तहत सब्जियों व फलों की प्रोसेसिंग व  पैकेजिंग की ट्रेनिंग दी जाती है, जिस से किसानों को फलों व सब्जियों के होने वाले नुकसान से न केवल बचाया जाता है, बल्कि उन्हें मार्केटिंग में भी माहिर बनाया जाता है. प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को प्रमाणपत्र भी दिए जाते?हैं, जो नौकरियों में भी कारगर होते?हैं.

किसानों को मिलता है सहयोग : इस केंद्र के तहत उद्यान अनुभाग, मृदारसायन अनुभाग, कीट अनुभाग फल संरक्षण अनुभाग, पादप रोग अनुभाग, शाकभाजी व मसाला अनुभाग, पादप दैहिकी अनुभाग, मधुमक्खीपालन अनुभाग, प्रशिक्षण एवं प्रसार अनुभाग, बीज विधायन अनुभाग, औषधीय एवं सगंध पौध अनुभाग, प्लांट हैल्थ क्लीनिक जैसे तमाम अनुभाग कार्य कर रहे हैं. इन अनुभागों के जरीए मिट्टीको उपजाऊ बनाने, फसल को कीटों व रोगों से बचाने की जानकारी भी किसानों को दी जाती है.

4 स्टार की रैंकिंग से नवाजा गया है यह केंद्र

राष्ट्रीय बागबानी बोर्ड ने बस्ती के औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र की आदर्श पौधशाला को 4 स्टार व अन्य पौधशालाओं को 3 स्टार की रैंकिंग दी है. यहां की नर्सरियों से हर साल करीब 20 लाख पौधे तैयार होते हैं.

अगर कोई भी किसान, बेरोजगार व युवा बागबानी को अपने रोजगार का साधन बनाना चाहता है, तो इस केंद्र से संपर्क कर जरूरी जानकारी व प्रशिक्षण हासिल कर सकता है. इस केंद्र द्वारा किसानों को शाकभाजी उत्पादन के साथसाथ औषधीय पौधों की खेती की भी जानकारी दी जाती है. बस्ती जिले में स्थित औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र बागबानी की विशेषताओं को समेटे हुए किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम कर रहा है.

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