एक मोटे अनाज के रूप में पहचान बनाने वाले बाजरे से आज अनेक खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं. खासकर बाजरे का दलिया बना कर आज अनेक कंपनियां खासी कमाई कर रही हैं. आजकल बाजरे के नमकीन सेब, लड्डू, बरफी, शकरपारा, ढोकला, केक, पास्ता, मट्ठी व बिस्कुट वगैरह भी काफी पसंद किए जा रहे हैं. बाजरे में काफी मात्रा में प्रोटीन, वसा, रेशा व खनिज लवण होते हैं, जो हमारे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं.
बाजरे की प्रोसेसिंग कर के ये सब व्यंजन बड़ी आसानी से तैयार किए जा सकते हैं. लघु उद्योग के रूप में गांव वाले या शहरी लोग भी इसे कारोबार के रूप में अपना सकते हैं. काम शुरू करने के लिए इस की ट्रेनिंग लेना बहुत जरूरी है.
ट्रेनिंग के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (हरियाणा) के खाद्य एवं पोषण विभाग से संपर्क किया जा सकता है. इस कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े गृह विज्ञान महाविद्यालय में बाजरे के कई प्रकार के व्यंजनों को बनाना सिखाया जाता है. बाजरे की प्रोसेसिंग को ले कर इन का एक खास विभाग है ‘बाजरा उत्कृष्टता केंद्र’. इस के तहत इन के विशेषज्ञ समयसमय पर लोगों को ट्रेनिंग देते हैं, जो कि बहुत कम दिनों की होती है. इन के अनुभवी लोग तमाम जगहों पर जा कर भी ट्रेनिंग देते हैं.
प्रोसेसिंग तकनीक से बाजरा व अन्य अनाजों को उत्पाद के रूप में बदला जा सकता है. पुराने समय के लोग पारंपरिक तरीकों से इन अनाजों की प्रोसेसिंग करते थे जैसे बाजरे का आटा बनाने के लिए उसे हाथ से कूटना, हाथ की चक्की से पीसना, छिलका उतारना, दलिया बनाना वगैरह. लेकिन इन तरीकों से मेहनत और समय तो ज्यादा लगता था, पर उत्पादन कम होता था. साथ ही अनाज में छिलका आदि भी लगा रह जाता था, जिस से सही गुणवत्ता भी नहीं मिल पाती थी.
अब इन कामों के लिए प्रोसेसिंग की मशीनें आ गई हैं. इन मशीनों से ये काम बहुत आसानी से किए जा सकते हैं. मशीनों के इस्तेमाल से समय की बचत के साथसाथ मेहनत भी कम लगती है. मशीनों की जानकारी ले कर इस रोजगार की दिशा में काम किया जा सकता है.
बाजरे की प्रोसेसिंग के लिए कुछ खास मशीनें
डिस्टोनर, ग्रेडर व एस्पिरेटर : यह बाजरे की ग्रेडिंग करने की मशीन है. इस मशीन से बाजरे से रेत, कंकड़ व पत्थर वगैरह को अलग किया जाता है और बाजरे के दानों की ग्रेडिंग भी की जाती है.
छिलका उतारने की मशीन : इस मशीन से बाजरे की ऊपरी मोटी परत दानों से अलग की जाती है. छिलका उतारते समय दाने थोड़ी मात्रा में टूट भी जाते हैं, लेकिन छिलका उतरे अनाज से बाजरे के व्यंजन ज्यादा स्वादिष्ठ बनते हैं.
अनाज उबालने की मशीन (पारबौयलिंग मशीन) : यह मशीन 2 भागों में बनी होती है. इस मशीन में अनाज भिगोया व थोड़ी देर तक उबाला जाता है, जिस से बाजरे के अपोषक तत्त्व कम हो जाते हैं और बाजरे को ज्यादा समय तक रखा जा सकता है. साथ ही बाजरे की पौष्टिकता बढ़ जाती है, जिस से बने खाद्य पदार्थ ज्यादा पौष्टिक व स्वादिष्ठ होते हैं.
दलिया बनाने की मशीन (हैमर मिल/पुलवेरीजर) : आज बाजरे का दलिया काफी पसंद किया जाता है. इस मशीन से बढि़या क्वालिटी का दलिया निकाला जाता है. इस मशीन से छिलका उतारे गए बाजरे का दलिया बनाया जाता है और इसे मोटा आटा बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. दलिया बनने के बाद मोटे आटे व दलिया को छान कर अलग कर लिया जाता है. यह मशीन अलगअलग कूवत में मिलती है.
सोलर टनल ड्रायर : यह मशीन सोलर ऊर्जा द्वारा चलती है. इस मशीन से बाजरे व किसी भी खाद्य पदार्थ को सुखाया जाता है. इस मशीन से समय व ईंधन की बचत होती है.
इस का तापमान नियंत्रित होता है. चूंकि यह मशीन सौर ऊर्जा से चलती है, इसलिए इस की कार्य क्षमता आकार व मौसम पर निर्भर करती है.
अगर आप भी बाजरे के उत्पाद बना कर बेचना चाहते हैं यानी अपनी इकाई लगाना चाहते हैं, तो सब से पहले ट्रेनिंग लेना जरूरी है. संस्थान द्वारा कम समय के कोर्स भी चलाए जा रहे हैं, जिन्हें कर के आप अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (हरियाणा) के बाजरा उत्कृष्टता केंद्र, खाद्य एवं पोषक विभाग, गृह विज्ञान महाविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं.