पहली बार बड़े लैवल पर ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ से सम्मानित किया गया.
इस मौके पर अवार्ड ग्रहण करने वाले किसानों की कहानियों को वीडियो डौक्यूमैंट्री के जरीए अवार्ड सैरेमनी में वहां मौजूद दूसरे किसानों और अतिथियों के सामने पेश किया गया.
इस अवार्ड सैरेमनी में अतिथियों ने किसानों को स्मृतिचिह्न, सर्टिफिकेट और गिफ्ट प्रदान किए. इस मौके पर अवार्डी किसानों के साथ उन के परिजन भी मौजूद रहे.
महिला किसानों ने बढ़ाया हौसला
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ देश का एकमात्र ऐसा अवार्ड है, जिस में दिनरात खेतों, बागों और डेयरी में काम करने वाली महिलाओं को किसान के रूप में पहचान कर उन्हें न केवल अवार्ड से नवाजने का काम किया गया, बल्कि उन के प्रयासों को भी देश के सामने लाया गया.
इस अवार्ड समारोह में उत्तराखंड से डाक्टर पूजा गौड़ को ‘बैस्ट फार्मर अवार्ड इन मार्केटिंग’, पुष्पा नेगी को ‘बैस्ट डेयरी ऐंड एनिमल कीपर अवार्ड’ और डाक्टर हिरेशा वर्मा को ‘बैस्ट फीमेल फार्मर’ अवार्ड से नवाजा गया, वहीं उत्तर प्रदेश से पुष्पा गौतम को ‘बैस्ट फार्मर अवार्ड इन मार्केटिंग’, मिलन शर्मा को ‘बैस्ट डेयरी ऐंड एनिमल कीपर अवार्ड’, शुभावरी चौहान को ‘यंग फीमेल फार्मर’, साधना सिंह को ‘बैस्ट डेयरी ऐंड एनिमल कीपर अवार्ड’, इंदु सिंह को ‘बैस्ट फीमेल फार्मर अवार्ड’ और वंदना सिंह को भी ‘बैस्ट फीमेल फार्मर अवार्ड’ से नवाजा गया.
40 अवार्डी किसानों में 9 महिला किसान शामिल रहीं, जिन में से कुछ महिला किसानों का कारोबार सालाना करोड़ों रुपए में होता है.
कार्यकारी प्रकाशक ने किया स्वागत
दिल्ली प्रैस के कार्यकारी प्रकाशक अनंत नाथ की अगुआई और मार्गदर्शन में ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. इस मौके पर उन्होंने सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ दे कर उन का स्वागत किया.
दिल्ली प्रैस के कार्यकारी प्रकाशक अनंत नाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से विभिन्न 13 श्रेणियों में नामांकित 40 से अधिक किसानों और कृषि विज्ञान केंद्रों को कृषि जगत में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है.
‘फार्म एन फूड’ पत्रिका द्वारा खेती में नवाचार अपनाने वाले किसानों से विभिन्न श्रेणियों में आवेदन आमंत्रित किए गए थे. इन श्रेणियों में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से 300 से भी अधिक नोमिनेशन कृषि विज्ञान केंद्रों व कृषि संस्थानों की संस्तुति सहित प्राप्त हुए थे. विभिन्न श्रेणियों में प्राप्त इन नोमिनेशन का 4 सदस्यीय जूरी द्वारा मूल्यांकन किया गया, जिस में सर्वश्रेष्ठ नोमिनेशन को पुरस्कार के लिए चुना गया है.
दिल्ली प्रैस के इतिहास पर प्रकाश
‘फार्म एन फूड’ पत्रिका के इंचार्ज भानु प्रकाश राणा ने दिल्ली प्रैस के गौरवशाली इतिहास के बारे में वीडियो डौक्यूमैंट्री के जरीए प्रकाश डाला.
दिल्ली प्रैस की स्थापना साल 1939 में की गई थी, जिस की पहली पत्रिका इंगलिश भाषा में ‘द कैरेवान’ थी, जो आज भी प्रकाशित हो रही है.
साल 1945 में हिंदी मासिक पत्रिका ‘सरिता’ शुरू की गई और पहले अंक से ही ‘सरिता’ पत्रिका घरघर की पसंदीदा हिंदी पत्रिका बन गई थी.
पिछले कुछ सालों में इस समूह ने कई पत्रिकाएं लौंच की हैं, जो उतनी ही सफल रही हैं, जिन में ‘मुक्ता’, ‘चंपक’, ‘गृहशोभा’, ‘सरस सलिल’, ‘फार्म एन फूड’ जैसी 9 भाषाओं में 31 पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं.
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बढ़ाया हौसला
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार में उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह रहे. इस मौके पर उन्होंने सम्मानित होने वाले किसानों से कहा, ‘‘यहां सम्मानित किसान अपनी खेती के जरीए किसी न किसी के लिए नजीर बने हैं. ऐसे सभी सम्मानित होने वाले किसानों को मैं बधाई देता हूं.’’
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने ‘फार्म एन फूड’ और दिल्ली प्रैस के इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि जब किसानों की सफलता की कहानियों और तकनीकी को प्रचारित करने वाले देश के चौथे स्तंभ मीडिया जगत के लोग ही किसानों को आगे लाने और उन का हौसला बढ़ाने का काम कर रहे हैं, तो यह देश के किसानों के लिए अच्छे दिनों की निशानी है. किसानों के सम्मान के लिए आगे आई दिल्ली प्रैस और ‘फार्म एन फूड’ को मैं धन्यवाद देता हूं.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि खेती के क्षेत्र में बड़ी संभावना है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश का आम विदेशों में जा रहा है. हम दूसरे उत्पादों को भी दुनियाभर में भेज रहे हैं. इस से हमारे किसानों का उत्साह बढ़ रहा है. आज के नौजवान अपने कृषि उत्पादों को ग्लोबल बना सकते हैं.
आगरा में ऐसा नवीनतम अनुसंधान केंद्र बनने जा रहा है, जो देश में कृषि जगत में क्रांति ला सकता है. परंपरागत खेती के साथसाथ हमें खेती में नवाचार भी अपनाना चाहिए, जिस से किसान की आमदनी बढ़ सकती है.
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने वाराणसी के नवाचारी और अनाज की कई किस्मों को ईजाद करने वाले किसान श्रीप्रकाश सिंह रघुवंशी, लखीमपुर खीरी के गन्ना किसान अचल कुमार मिश्रा, सिद्धार्थनगर जिले के युवा किसान मंगेश दुबे को अपने हाथों से पुरस्कार प्रदान कर उन का हौसला बढ़ाया.
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने अवार्ड समारोह में मौजूद ‘लैमनमैन’ के नाम से मशहूर रायबरेली जनपद के कचनावा गांव के किसान आनंद मिश्रा का जिक्र करते हुए कहा कि आनंद मिश्रा ने नीबू की बागबानी से प्रदेश के किसानों के लिए एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिस को देख कर दूसरे किसान भी बागबानी की तरफ आने लगे हैं.
उन्होंने आगे जानकारी देते हुए यह भी कहा कि आनंद मिश्रा ने एक मल्टीनैशनल कंपनी की नौकरी छोड़ कर नीबू की बागबानी के जरीए नई मिसाल पेश की है.
किसानों को दिए खेती के टिप्स
जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप देने वाले ‘पद्मश्री’ और ‘जलयोद्धा’ उमाशंकर पांडेय ने बताया कि खेती में पानी के समुचित उपयोग से न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि पानी बचाने की दिशा में आगे भी बढ़ सकते हैं.
उन्होंने पुरखों की विधि ‘खेत पर मेंड़, मेंड़ पर पेड़’ को अपनाते हुए अपने खेतों में वर्षा का पानी रोका. इस के परिणामस्वरूप बांदा मंडल ने उत्तर प्रदेश में गेहूं उत्पादन में रिकौर्ड बनाया और बासमती धान की पैदावार में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जो बुंदेलखंड के लिए एक नई शुरुआत है.
जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड में निदेशक, शिक्षा विस्तार डाक्टर जितेंद्र क्वात्रा ने विश्वविद्यालय पर किसानों के लिए किए जा रहे प्रयोगों और प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में चल रहे प्रयोगों को सीखने के लिए देशभर से किसान आते रहते हैं. विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन किस्मों ने देश के अनाज उत्पादन में अभूतपूर्व क्रांति लाने का काम किया है.
भाकृअनुप-केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ से प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण) डाक्टर संजीव कुमार वर्मा ने किसानों के लिए जरूरी पोषण पर जानकारी दी.
उन्होंने संस्थान द्वारा गत 37 सालों के दौरान की गई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों, देशी गायों के विकास के लिए संस्थान द्वारा चलाई जा रही विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं, फ्रीजवाल गाय का विकास आदि पर प्रकाश डाला.
उन्होंने बताया कि केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान देश का एकमात्र संस्थान है, जहां गोवंश की नस्ल सुधारने व विकसित करने के लिए काम कर रहा है. इस से किसानों को बहुआयामी लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि पशुपालक गायों की उन्नत नस्लों, सीमेन की डोज स्टौक से क्रय कर अपनी आय में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र, सीतापुर के अध्यक्ष वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाक्टर दयाशंकर श्रीवास्तव ने किसानों को निरंतर कम होती जोत और बढ़ती खाद्यान्न जरूरतों की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कहा कि समेकित कृषि प्रणाली एक ऐसी विधा हो सकती है, जिस के माध्यम से किसान विभिन्न फसलों, पशुओं, मछलियों और पेड़पौधों से एक संगठित तरीके से उत्पादन ले सकते हैं.
जूरी टीम ने किया चयन
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ में आए नामांकनों और आवेदनों की स्क्रीनिंग व चयन के लिए 4 विशेषज्ञों की जूरी का गठन किया गया था, जिन्होंने 13 कैटेगरी में आए तकरीबन 300 से अधिक आवेदनों की बहुत ही सूक्ष्मता से स्क्रीनिंग की और आवेदन के साथ लगाए गए साक्ष्यों व अपनाई जा रही तकनीकी को देखते हुए अंतिम सूची को फाइनल किया.
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ के लिए जिन 4 विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया था, उन में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार विजेता उमाशंकर पांडेय, उत्तर प्रदेश सैंटर फौर एग्रीकल्चर टैक्नोलौजी अस्सेस्मैंट ऐंड ट्रांसफर, आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) डाक्टर नफीस अहमद, गोवंश पोषण एवं प्रबंधन प्रभाग, भाकृअनुप-केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ से प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण) डाक्टर संजीव कुमार वर्मा व एसवी पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश में निदेशक ट्रेनिंग एवं प्लेसमैंट प्रोफैसर आरएस सेंगर शामिल रहे.
जूरी में शामिल इन सभी विशेषज्ञों को खेतीबारी में महारत हासिल है. डाक्टर नफीस अहमद को जहां खेती से जुड़ी रिसर्च, तकनीकी हस्तांतरण, ट्रेनिंग इत्यादि में गहन विशेषज्ञता है, तो वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा हर साल दिए जाने वाले इनोवेटिव फार्मर अवार्ड व फार्मर फैलोशिप अवार्ड के वे इंचार्ज भी रहे हैं.
‘पद्मश्री’ उमाशंकर पांडेय को देशभर में पारंपरिक तरीके से पानी बचाने की मुहिम के लिए जाना जाता है और उन के प्रयासों से बुंदेलखंड जैसे सूखे क्षेत्रों में भी धान की उन्नत खेती संभव हो पाई है.
पशुपालन के विशेषज्ञ डाक्टर संजीव कुमार वर्मा देश के नामचीन पशुपालन वैज्ञानिकों में शामिल हैं. उन्हें पशुओं के पोषण और देखभाल में महारत हासिल है. डाक्टर आरएस सेंगर मेरठ कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ और अनुभवी वैज्ञानिक हैं. वे रिसर्च, ट्रेनिंग, नवीन किस्मों के विकास सहित खेती में उच्च कोटि के वैज्ञानिक हैं. खेतीबारी से जुड़े उन के लेख देश और दुनिया की पत्रिकाओं और रिसर्च पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं.
समारोह में मलिहाबाद के निवासी और पूरी दुनिया में ‘मैंगोमैन’ के नाम से विख्यात ‘पद्मश्री’ कलीम उल्लाह खान ने भी किसानों को अवार्ड प्रदान कर उन का हौसला बढ़ाया. उन्होंने अपने द्वारा विकसित और खोजी गई आम की नवीन व उन्नत नस्लों की खूबियों को भी गिनाया. उन के पास लखनऊ के मलिहाबाद में दुनिया का एकलौता ऐसा पेड़ है, जिस पर 300 से ज्यादा किस्म के आम फलते हैं.
तय किए गए थे ये मानक
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ के लिए प्राप्त 13 कैटेगरी के आवेदनों की स्क्रीनिंग व चयन के लिए जो मानक तय किए गए थे, उन में किसान द्वारा अपनाई जा रही तकनीकी, उन्नत किस्मों और नस्लों का चयन, खाद एवं उर्वरक के उपयोग की तकनीकी, जोखिम न्यूनीकरण, कृषि यंत्रों का उपयोग, लागत और मूल्य संवर्धन, हार्वेस्टिंग प्रोसैसिंग तकनीकी, लागत और लाभ का अनुपात सहित ट्रेनिंग, पुरस्कार और प्रकाशित सफलता की कहानियां जैसे तमाम बिंदु शामिल किए गए थे.
सहप्रायोजक के रूप में इन का भी रहा सहयोग
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ की मुख्य सहप्रायोजक कंपनी पोलारिस स्पोर्ट्समैन 570 ट्रैक्टर रही, जो औफ रोडर ह्वीकल बनाने वाली अमेरिकी कंपनी पोलारिस का पहला रोड लीगल ट्रैक्टर है. यह ट्रैक्टर कौंपैक्ट साइज का है और इसे खासतौर पर कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है. इस में 4-ह्वील ड्राइव की क्षमता है और यह 680 किलोग्राम तक का भार खींच सकता है.
‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ की दूसरी सहप्रायोजक कंपनी मेघदूत ग्रामोद्योग सेवा संस्थान रही, जो आयुर्वेदिक दवाओं, हर्बल प्रसाधन सामग्री और खाद्य संरक्षण उत्पादों के लिए जानी जाती है.
मेघदूत को उस की गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ‘खादी एवं ग्रामोद्योग में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2005’ से सम्मानित किया गया था.
साल 1985 में स्थापित मेघदूत ग्रामोद्योग सेवा संस्थान अपने हर्बल उत्पादों, हर्बल दवाओं, स्वास्थ्य खाद्य पदार्थों, स्वास्थ्य टौनिक, बालों की देखभाल के उत्पादों, त्वचा की देखभाल के उत्पादों, सौंदर्य की देखभाल के उत्पादों आदि के एक प्रसिद्ध निर्माता, निर्यातक और आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचानी जाती है.
किसानों का हौसला और उत्साह बढ़ाने के लिए भविष्य में देश के अन्य राज्यों में भी ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ का आयोजन किया जाएगा.
‘चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन’ के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था ‘चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन’ से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए ‘फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड’ से नवाजा गया.
इन अधिकारियों की अगुआई में ‘चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन’ देशभर में जरूरतमंद बच्चों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करती है, जिन में गंभीर बीमारियों और आपात स्थितियों में सहायता शामिल है.
इस के अलावा यहां पर सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा, शिक्षण सामग्री और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए विभिन्न परियोजनाओं को चलाया जाता है. इस के तहत स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस, पुस्तकालयों का निर्माण और डिजिटल उपकरणों की स्थापना पर ध्यान दिया गया है.
‘चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन’ द्वारा चलाए जा रहे स्वास्थ्य कार्यक्रम में बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने और उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. इस के अंतर्गत बच्चों को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य जांच और जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है. हाल ही में ‘स्वास्थ्य से शिक्षा तक’ अभियान की शुरुआत की गई है, जिस का उद्देश्य बच्चों को अच्छे स्वास्थ्य के माध्यम से शिक्षा के अवसर प्रदान करना है.
यह संस्था पर्यावरण सुरक्षा में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है. यह संगठन विभिन्न स्थानों पर वृक्षारोपण अभियान चलाता है और स्थानीय समुदायों को पर्यावरणीय जागरूकता के लिए प्रेरित करता है. इस संस्था के द्वारा स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता अभियान और सफाई मुहिम का आयोजन किया जाता है.
‘चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन’ इन सभी गतिविधियों के माध्यम से वंचित और असहाय बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाने का काम कर रही है.
इस संस्था के संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक ने बताया, ‘‘हमारी संस्था देशभर में सतत विकास लक्ष्य के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्यरत है, जिस के जरीए वंचित तबके को समाज की मुख्यधारा में शामिल किए जाने का प्रयास किया जा रहा है.’’