भोपाल : रबी फसलों के लिए किसानों को समय से उत्तम उर्वरक और बीज मिलना सुनिश्चित किया जाए. प्रदेश में सभी उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. डीएपी के समान ही एनपीके भी गुणवत्तायुक्त है. इस में फसलों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व हैं.

किसान नरवाई न जलाएं, सुपर सीडर का उपयोग करें.

प्रदेश में कहीं भी खाद, बीज का अवैध भंडारण, कालाबाजारी अथवा अमानक विक्रय न हो, यह सुनिश्चित किया जाए. समर्थन मूल्य पर सोयाबीन विक्रय के लिए किसानों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

एपीसी मोहम्मद सुलेमान ने यह निर्देश पिछले दिनों नर्मदा भवन में संपन्न भोपाल एवं नर्मदापुरम संभागों के लिए खरीफ-2024 की समीक्षा एवं रबी 2024- 25 की तैयारियों के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में दिए.

बैठक में कृषि, सहकारिता, पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन, उद्यानिकी आदि विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई.

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव मत्स्यपालन डीपी आहूजा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, सचिव कृषि एम. सेलवेंद्रन, संभागायुक्त भोपाल संजीव सिंह, संभागायुक्त नर्मदापुरम केजी तिवारी, संबंधित जिलों के कलक्टर्स, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे. विभिन्न योजनाओं के सफल हितग्राहियों ने अपने अनुभव भी बैठक में साझा किए.

एपीसी सुलेमान ने कहा कि प्रदेश में सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए किसानों के पंजीयन का कार्य जारी है. आगामी 25 अक्तूबर से सोयाबीन की खरीदी की जाएगी, जो 31 दिसंबर तक चलेगी. खरीदी केंद्रों पर सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें. सोयाबीन खरीदी के लिए किसानों को टोकन दिए जाएं, जिस से उन्हें अनावश्यक इंतजार न करना पड़े. किसानों की सुविधा के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त केंद्र 1-2 दिन में खोल दिए जाएंगे. खरीदी में शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का प्रयोग किया जाए.

सचिव, कृषि, सेलवेंद्रन ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है. दालों के उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में 24 फीसदी उत्पादन के साथ प्रथम है. अनाजों के उत्पादन में 12 फीसदी उत्पादन के साथ देश में द्वितीय और तिलहन के उत्पादन में 20 फीसदी उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है. प्रदेश की कृषि विकास दर 19 फीसदी है. देश में मध्य प्रदेश के सर्वाधिक 16.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती होती है.

उन्होंने बताया कि रबी 2024-25 के लिए प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. रबी के लिए प्रदेश में कुल 16.43 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है, जिस में 6.88 यूरिया, 1.38 डीएपी, 2.70 एनपीके, 4.08 डीएपी +एनपीके, 4.86 एसएसपी और 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी उर्वरक उपलब्ध है.

प्रदेश में रबी फसलों के अंतर्गत मुख्य रूप से चंबल एवं ग्वालियर संभागों में सरसों 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, सागर संभागों में चना, मसूर 20 अक्तूबर से 10 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, चंबल, सागर, नर्मदापुरम में गेहूं 1 नवंबर से 30 नवंबर तक और जबलपुर, रीवा एवं शहडोल संभागों में गेहूं एवं चना की फसलों की बोनी 15 नवंबर से 31 दिसंबर तक की जाती है.

एपीसी सुलेमान ने सभी कलक्टरों को निर्देश दिए गए कि वे सुनिश्चित करें कि उन के जिलों में नरवाई न जलाई जाए. किसानों को सुपर सीडर के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाए. इस के प्रयोग से फसल कटाई के साथ ही बोनी भी हो जाती है. इस से खेतों में बची हुई नमी का अगली फसल में उपयोग हो जाता है, कम बीज लगता है और फसल पहले आ जाती है, जो किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक है. सभी जिलों में सुपर सीडर मशीन की किसानों को उपलब्धता सुनिश्चित कराएं.

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में रबी फसलों के लिए भी किसानों को शासन की जीरो फीसदी ब्याज पर फसल ऋण योजना का लाभ दिए जाना सुनिश्चित करें. हर जिले में “वन स्टाप सैंटर” बनाए जाएं, जहां किसानों को सारी सुविधाएं मिल सकें. समिति स्तर पर अल्पावधि ऋणों की वसूली बढ़ाई जाए. जो प्राथमिक सहकारी समितियां ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं, उन के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए.

उन्होंने निर्देश दिए कि पैक्स के आडिट का कार्य अक्तूबर तक पूरा किया जाए और नवीन पैक्स के गठन की कार्रवाई की जाए.

यह भी बताया गया कि ऋण महोत्सव के अंतर्गत आगामी 6 नवंबर तक किसानों को अ-कृषि ऋण वितरित किए जा रहे हैं.

मत्स्य विभाग की समीक्षा में प्रमुख सचिव डीपी आहूजा ने बताया कि मध्य प्रदेश में 4.42 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र, जिस में से 99 फीसदी भाग में मत्स्यपालन किया जाता है. प्रदेश में 2595 मछुआ समितियां पंजीकृत हैं, जिन से 95417 मत्स्यपालक जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति मत्स्य उपलब्धता 7.5 किलोग्राम है.

प्रदेश का पहला इंटीग्रेटेड एक्वापार्क भदभदा रोड भोपाल में स्थित है. प्रदेश में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना और मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना संचालित हैं. सभी योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति के निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दिए गए. मछुआपालन की नई तकनीकी के इस्तेमाल के लिए मत्स्यपालक किसानों को प्रेरित किया जाए.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की समीक्षा में बताया गया कि भारत में दुग्ध उत्पादन में मध्य प्रदेश का तीसरा स्थान है. प्रदेश में 591 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है. राष्ट्र का 9 फीसदी दुग्ध उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है. मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 644 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम प्रतिदिन का है. प्रदेश में 7.5 फीसदी पशुधन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.05 का है.

वर्ष 2019 की पशु संगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में गौवंश पशु संख्या देश में तीसरे स्थान पर 187.50 लाख है, वहीं भैंस वंश पशु संख्या चौथे स्थान पर 103.5 लाख है.

प्रदेश में पशुओं के उपचार के लिए चालित पशु चिकित्सा वाहन (1962) संचालित है, जो कि स्थान पर जा कर पशुओं का इलाज करते हैं.

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश देश में अव्वल है. भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है. पशुपालकों से मात्र 100 रुपए के शुल्क पर गायों का नस्ल सुधार किया जाता है. इस से पशुपालकों को अच्छी आय प्राप्त हो रही है.

सभी कलक्टर को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ पशुपालकों को दें. कुक्कुटपालन एवं बकरीपालन से भी पशुपालकों को अच्छी आमदनी होती है, इस के लिए भी उन्हें प्रेरित किया जाए.

उद्यानिकी विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि दोनों संभागों में उद्यानिकी फसलों के रकबे में भी वृद्धि हो रही है. यहां के किसान उच्च मूल्य फल जैसे थाई पिंक अमरूद, एवाकाडो एवं ड्रैगन फ्रूट की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं.

संभाग के सभी जिलों में अमरूद, ड्रैगन फ्रूट एवं संतरा फसल का विपणन दिल्ली, मुंबई आदि बड़े महानगरों में किया जा रहा है. गुलाब, जरबेरा एवं उच्च कोटि की सब्जियों की खेती पौलीहाउस एवं शेड नेटहाउस में उच्च तकनीकी से कर के अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त हो रही है.

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