रामजी दुबे ग्राम नुआंव, मिर्जापुर , उत्तर प्रदेश से हैं. और बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लगभग 15 लाख सालाना का मुनाफा ले रहे हैं. इसके अलावा स्ट्राबेरी, खीरा, केला आदि की खेती करते हैं. पॉलीहाउस में नर्सरी तैयार करते हैं. पशुपालन भी करते हैं जिससे उन्हें खेती में बाजार से रासायनिक उर्वरक भी नहीं खरीदना पड़ता. इन्हीं खासियतों के चलते हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फार्म एन फूड कृषि सम्मान मिला. जिसके तहत उन्हें ‘बेस्ट फार्मर अवार्ड फार्मर इन इंटीग्रेटेड फार्मिंग’ सम्मान दिया गया.

रामजी दुबे ने साल 2018 से एकीकृत बागबानी के तहत 2000 वर्गमीटर एरिया में पौलीहाउस बनाया है. उस के बाद पौलीहाउस में उच्च गुणवत्ता का खरबूजा, रंगीन शिमला मिर्च एवं खुले खेत में केला, स्ट्रौबेरी, पपीता एवं एक हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट की खेती आरंभ की, जिस से उन्हें 12 महीने कुछ न कुछ फसल उत्पाद मिलता रहता है और पूरे साल अच्छीखासी आमदनी होती रहती है.

किसान रामजी दुबे ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती से उन्हें 10 से 15 लाख की सालाना आमदनी होती है. रामजी दुबे पर्यावरण के प्रति भी लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. इस के तहत वे अपने जिले और आसपास के क्षेत्र के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि अनेक राज्यों में भी एक लाख से अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं. उन्हें जिला स्तर, राज्य स्तर के साथसाथ राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.

रामजी दुबे का कहना है कि उन्हें स्ट्रौबेरी की खेती से 5 से 6 महीने में एक एकड़ में 8 से 10 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है. खेती में तकरीबन 2 से 3 लाख रुपए का खर्च भी आता है. इस प्रकार तकरीबन 7 लाख रुपए के आसपास शुद्ध आमदनी हो जाती है.

Integrated Farming

इसी प्रकार रामजी दुबे को रंगीन शिमला मिर्च से तकरीबन 8 से 10 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है, वहीं पशुपालन के तहत वे गौपालन भी करते हैं, जिस के गोबर से वह बिना किसी लागत के वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं. इस से उन्हें अपनी खेती में बाजार से उर्वरक नहीं खरीदना होता है.

रामजी दुबे साल 2018 के पहले पारंपरिक तरीके से गेहूं, धान, चना, मटर, सरसों की खेती करते थे, जिस से उन्हें बहुत अच्छा मुनाफा नहीं होता था, परंतु आज एकीकृत खेती के माध्यम से बागबानी के द्वारा साल में 25 से 30 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है. वे अब पपीता की खेती भी करते हैं. पपीते की पौध जूनजुलाई माह में लगाते हैं, जिस की हार्वेस्टिंग अगले वर्ष मार्चअप्रैल के महीने में शुरू हो जाती है. उस समय नवरात्र एवं अन्य त्योहारों के कारण डिमांड अच्छीखासी रहती है. उन्हें एक एकड़ में तकरीबन 5 से 6 लाख रुपए का मुनाफा एक एकड़ में हो जाता है.

इस तरह से रामजी दुबे को समेकित व एकीकृत खेती से अनेक लाभ हो जाते हैं. आज अपने क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि जिले एवं आसपास के दूसरे क्षेत्रों में आप प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं. आसपास के जिलों से क्षेत्र से तमाम किसान तमाम सरकारी अधिकारी उन के खेतों को देखने आते हैं, जिस से उन्हें भी काफी प्रेरणा मिलती है.

 

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वैसे, 63 साल की उम्र पर रामजी दुबे के इस तरह के काम देख कर लोग बहुत प्रभावित होते हैं और दूसरे लोगों को प्रेरणा भी मिलती है.

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