भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के माननीय कुलपति डा. डीआर सिंह ने कई विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) आवेदनों की प्रगति की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक का आयोजन बीएयू के अनुसंधान निदेशक डा. एके सिंह ने किया, जिस में उपनिदेशक, अनुसंधान, डा. सैलबाला देई और बिहार कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान यानी बामेती के रंजीत जैसे प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया.

रंजीत ने औनलाइन माध्यम से बैठक में शामिल हो कर अपना योगदान दिया. इस बैठक का उद्देश्य जीआई मान्यता प्राप्त करने में हुई प्रगति का मूल्यांकन करना और आगे की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए एक ठोस योजना तैयार करना था.

समीक्षा के दौरान कुलपति डा. डीआर सिंह ने प्रत्येक लक्षित उत्पाद की प्रगति का आकलन किया और उपस्थित वैज्ञानिकों को अपने प्रयासों को तेज करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बिहार के विशिष्ट उत्पादों की सुरक्षा और प्रचार के लिए जीआई मान्यता की आवश्यकता पर जोर देते हुए “लिट्टी-चोखा” के लिए साल 2024 के अंत तक जीआई मान्यता प्राप्त करने का आश्वासन व्यक्त किया.

कुलपति डा. डीआर सिंह ने 2025 के अंत तक 10-15 अतिरिक्त उत्पादों के लिए जीआई मान्यता प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित किया. जीआई आवेदन प्रक्रिया को सुगम और तेज करने के प्रयास में कुलपति डा. डीआर सिंह ने बामेती  के अधिकारी रंजीत के साथ बातचीत की और उन से इन आवेदनों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सरकारी अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया.

बैठक का समापन बीएयू के अनुसंधान निदेशक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिस में बिहार की कृषि विरासत को संरक्षित करने और स्थानीय विशिष्ट उत्पादों की बाजार पहुंच को जीआई प्रक्रिया के माध्यम से बढ़ाने के प्रति बीएयू की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया.

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