उदयपुर : कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि मेवाड़ के लिए मक्का बहुत खास फसल है. वैसे भी यहां कहावत है, ’गेहूं छोड़ ’न मक्का खाणो – मेवाड़ छोड़ न कठैई नी जाणों’. मक्का कभी अनाज और चारे के लिए बोया जाता था, लेकिन अनुसंधान और कृषि वैज्ञानिकों के प्रयासों की बदौलत मक्का से पोपकौर्न, बेबीकौर्न, जर्म औयल (मक्का का तेल), जिस में एंटीऔक्सीडेंट भरपूर मात्रा उपलब्ध है. यही नहीं, मक्का से स्टार्च के बाद इथेनाल उत्पादन भी संभव है, जिसे भविष्य में पैट्रोल के विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है.
उन्होंने आश्वस्त किया कि ग्रीन फ्यूल की दिशा में एपपीयूएटी हर संभव मदद करेगा. कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि साल 1955 में स्थापित राजस्थान कृषि महाविद्यालय कोई छोटामोटा कालेज नहीं है, बल्कि देश का दूसरा कृषि विश्वविद्यालय है.
उन्होंने आगे कहा कि एमपीयूएटी ने हाल ही प्रताप-6 संकर मक्का बीज पैदा किया है, जिस का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 65 क्विंटल है. कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी की मंशानुरूप इस बीज के प्रयोग से मक्का का क्षेत्रफल बढ़ाने की जरूरत नहीं है, बल्कि उत्पादन दोगुना हो सकता है.
देश का पहला प्राकृतिक खेती का सैंटर भी इस विश्वविद्यालय के अधीन भीलवाड़ा में कार्यरत है. डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि एमपीयूएटी के अंतर्गत 8 कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जबकि 9वां कृषि विज्ञान केंद्र विद्याभवन में चल रहा है, लेकिन वह भी इसी विश्वविद्यालय का अहम हिस्सा है.
उन्होंने बताया कि एमपीयूएटी ने वर्ष 2024 में 24 पेटेंट प्राप्त किए. यह पेटेंट किसी सिफारिश से नहीं, बल्कि भारत सरकार के कठिन नियमशर्तों पर खरे उतरने पर मिले. मिलेट्स की दिशा में भी एमपीयूएटी ने सराहनीय काम किए. अब जरूरत है तकनीक को विश्वविद्यालय हित में मोनीटाइजेशन किया जाए.
आंरभ में पूर्व छात्र परिषद के संरक्षक डा. आरबी दुबे ने बताया कि जुलाई, 1955 में स्थापित राजस्थान कृषि महाविद्यालय से अब तक 4,441 छात्रछात्राएं स्नातकोत्तर, 3013 स्नातक, जबकि 883 विद्यार्थी पीएचडी डिगरी प्राप्त कर चुके हैं. विगत 5 सालों में 915 विद्यार्थियों का देशविदेश में विभिन्न सेवाओं में चयन हुआ है.
पूर्व छात्र डा. लक्ष्मण सिंह राठौड़, पूर्व कुलपति उमाशंकर शर्मा के अलावा पूर्व छात्र परिषद के पदाधिकारी डा. आरबी दुबे, डा. एनस बारहट, डा. जेएल चौधरी, डा. दीपांकर चक्रवर्ती, डा. सिद्धार्थ मिश्रा आदि ने अतिथियों को साफा, पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया.
समारोह में पूर्व छात्र परिषद की ओर से 30 से ज्यादा छात्रछात्राओं, शिक्षकों, किसानों को सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वाले प्रमुख नाम किसान राधेश्याम कीर, रमेश कुमार डामोर, डा. केडी आमेटा, डा. एस. रमेश बाबू, रजनीकांत शर्मा, डा. भावेंद्र तिवारी, वर्षा मेनारिया व अमीषा बेसरवाल आदि हैं.
कालेज के गलियारों में खूब की हंसीठिठोली, राष्ट्रीय सम्मेलन में शरीक हुए 500 से ज्यादा विद्यार्थी
जीवन के उत्तरार्द्ध में डग भर रहे सैकड़ों पूर्व कृषि छात्रों ने पिछले दिनों एकदूसरे को गले लगा कर न केवल पुरानी यादों को ताजा किया, बल्कि भूलेबिसरे किस्सों को याद करते हुए खूब अट्ट़हास किए. मौका था- राजस्थान कृषि महाविद्यालय पूर्व छात्र परिषद के 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन का. पूर्व छात्रों के सम्मेलन में देशविदेश के 500 से ज्यादा छात्र शामिल हुए.
पूर्व छात्रों ने महाविद्यालय के गलियारों में घूमते हुए कालेज के दिनों की यादों को ताजा किया. साथ ही, एकदूसरे से जुड़ने, मोबाइल नंबर लेतेदेते हुए भविष्य में नित्य एकदूसरे से बतियाने का वादा किया.
उल्लेखनीय है कि इस महाविद्यालय ने विश्वस्तरीय वैज्ञानिक दिए हैं. पद्मश्री डा. आरएस परोदा, डा. एसएल मेहता, डा. पीके दशोरा, डा. लक्ष्मण सिंह राठौड़, डा. भागीरथ चौधरी जैसे अनेकानेक नाम हैं, जिन्होंने देशविदेश में नाम किया.
इस मौके पर पूर्व छात्र परिषद के अध्यक्ष डा. नरेंद्र सिंह बारहठ ने कहा कि परिषद की ओर से अगले वर्ष से प्रतिभावन छात्रछात्राओं को 6 स्कौलरशिप प्रदान की जाएगी. उन्होंने बताया कि पूर्व छात्र परिषद को निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) वाला बनाने के प्रयास होंगे. इस के अलावा परिषद के तत्वावधान में प्रति वर्ष पूर्व छात्रों की क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित होगी.
इस मौके पर परिषद की ओर से पूर्व छात्रों के लिए अतिथिगृह बनाने की पेशकश की गई. साथ ही, इस के लिए कुलपति से जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया. अतिथिगृह बनाने के लिए प्रयोग पूर्व छात्र ने अपने जन्मदिन पर एक हजार रुपए देने की घोषणा की.
कालेज के पूर्व छात्र रहे डा. डीपी शर्मा की स्मृति में उन की बहन हेमलता ने परिषद को 2 लाख रुपए भेंट किए. स्वर्ण जयंती की दहलीज पर पहुंच चुके राजस्थान कृषि महाविद्यालय की नींव जुलाई, 1955 में डा. ए. राठौड़ ने रखी. आरंभ में अतिथियों ने पूर्व छात्र परिषद की स्मारिका का विमोचन भी किया गया.