खेती में विभिन्न फसलों के उत्पादन में उर्वरकों का उपयोग तब होता है, जब भूमि में पोषक तत्वों की कमी हो और उस की पूर्ति की आवश्यकता होती हो. उर्वरकों के महंगे होने से फसल उत्पादन की लागत बढ़ जाती है, जिस से किसानों को काफी नुकसान भी होता है. इसलिए सरकार द्वारा उर्वरकों पर भारी सब्सिडी दी जाती है, जिस से किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ न पड़े.
इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने किसानों को उचित दामों पर यूरिया और अन्य खादों की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी प्रदान करने की मंजूरी दी है.
उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी
जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी मौसम 2022-23 (01.01.2023 से 31.03.2023 तक) के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस प्रस्ताव में विभिन्न पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर के लिए सब्सिडी (एनबीएस) दरों में संशोधन शामिल है.
इस के अलावा खरीफ मौसम (1 अप्रैल, 2023 से 30 सितंबर, 2023 तक) के लिए फास्फेट और पोटाश उर्वरकों के लिए भी अनुमोदित एनबीएस दरें मंजूर की गई हैं.
किसानों के लिए यह नया फैसला खेती सेक्टर को बढ़ावा देने और किसानों को सहायता प्रदान करने का एक खास कदम है.
38,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी
खरीफ सीजन 2023 के दौरान, केंद्र सरकार ने किसानों के लिए 38,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने का फैसला लिया है. इस फैसले के माध्यम से खरीफ सीजन में किसानों को डीएपी और अन्य उर्वरकों की सही मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और उर्वरकों पर सब्सिडी का युक्तीकरण भी होगा. सरकार के इस कदम से किसानों को आर्थिक रूप से बल मिलेगा. इस से किसानों को आर्थिक रूप से सही कीमतों पर फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के 25 ग्रेड का उपयोग करने की सुविधा मिलेगी.
यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्रदान करेगा और उन की खेती को सुरक्षित बनाए रखेगा.
डीएपी खाद की कीमत में परिवर्तन नहीं
आने वाले खरीफ सीजन में यूरिया और डीएपी खाद की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होगा, क्योंकि सरकार द्वारा पोषक तत्व आधारित सब्सिडी को मंजूरी दी जा चुकी है.
वर्तमान में देश में नीम लेपित यूरिया की एक बोरी कीमत 266.50 रुपए है, जबकि डीएपी की एक बोरी की कीमत 1,350 रुपए है.
इसलिए, किसानों को आगामी खरीफ सीजन (1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2023) के दौरान यूरिया और डीएपी खाद इसी कीमत पर ही मिलेगा. इस से किसानों को आर्थिक रूप से सुविधा मिलेगी.