ग्वालियर : 100 टीपीडी गोबर आधारित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र “अपशिष्ट से धन” दृष्टिकोण का एक उदाहरण है.

ग्वालियर के लालटिपारा में स्थित आदर्श गौशाला सीबीजी संयंत्र वाली सब से बड़ी गौशाला है. ग्वालियर नगरनिगम द्वारा संचालित इस गौशाला में 10,000 से अधिक मवेशी रहते हैं.

आदर्श गौशाला अत्याधुनिक कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र वाली भारत की पहली आधुनिक, आत्मनिर्भर गौशाला है. यह मध्य प्रदेश का पहला सीबीजी संयंत्र है, जिस में घरों से मवेशियों के एकत्र किए गए गोबर और मंडियों में सब्जी और फलों के अपशिष्ट पदार्थों से बायोगैस तैयार की जाएगी.

जिला प्रशासन के अनुसार, 5 एकड़ में फैली इस महत्वाकांक्षी परियोजना को इंडियन औयल कारपोरेशन के सहयोग से 31 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया गया है. गौशाला में लगाया गया यह सीबीजी संयंत्र गाय के गोबर को बायो सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) और जैविक खाद में बदल देता है, जिस से कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए स्थायी विधियों को बढ़ावा मिलता है.

यह संयंत्र 100 टन गोबर से रोजाना 2 टन संपीड़ित बायोगैस उत्‍पन्‍न करेगा. इस के अतिरिक्त, यह रोजाना 10-15 टन सूखी जैविक खाद का उत्पादन करता है, जो जैविक खेती के लिए एक मूल्यवान उपोत्पाद है. तकनीकी रूप से उन्‍नत इस संयंत्र को दीर्घकालिक स्थिरता के लिए भी डिजाइन किया गया है. इस परियोजना में मुख्य संयंत्र के पास स्थित विंडरो कंपोस्टिंग आगे की जैविक अपशिष्ट प्रक्रिया में मदद करेगी.

लालटिपारा गौशाला का यह सीबीजी संयंत्र समाज और सरकार के बीच सफल सहयोग का एक मौडल और सतत विकास का विश्वस्तरीय मानदंड है. यह संयंत्र प्रतिदिन 2-3 टन बायोसीएनजी का उत्पादन करता है, जो जीवाश्म ईंधन के लिए एक स्वच्छ, पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करता है और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है.

ऊर्जा के लिए गाय के गोबर का उपयोग कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के जोखिम को कम करने में मदद करता है. यह पहल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है. यह हरित ऊर्जा और टिकाऊ विधियों में कौशल को भी बढ़ावा देती है.

स्थानीय किसानों को इस परियोजना से सीधे लाभ मिलेगा. जैविक खाद आसानी से किफायती दामों पर उपलब्ध होने के कारण आसपास के जिलों के किसानों को भी जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

लालटिपारा गौशाला सीबीजी संयंत्र सिर्फ एक औद्योगिक सुविधा से कहीं अधिक है. यह स्थिरता के लिए एक ऐसे समग्र दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जो पर्यावरणीय जिम्मेदारी को आर्थिक और सामाजिक लाभों के साथ संतुलित करता है. भारत की यह पहली आत्मनिर्भर गौशाला अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक अनुकरणीय मौडल है.

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