मसाले वाली फसलों की कटाई के उपरांत प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्यान महाविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ में शुरू किया गया.उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डा. बीआर सिंह, कुलसचिव द्वारा की गई.

इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के अंदर मसालों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. कोरोना काल के बाद लोगों ने मसालों की तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है, क्योंकि आयुर्वेदिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए जरूरी है कि इन का मूल्य संवर्धन कर के इन को बाजार में बेचा जाए. इस बात को ध्यान में रखते हुए इस प्रशिक्षण में छात्रों को प्रयोगात्मक रूप से सिखाया जाएगा.

निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रो. आरएस सेंगर ने अपने संबोधन मे कहा कि देश में मसालों की मांग और उपभोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है. इस ने कृषि के क्षेत्र में एक नए स्वरोजगार की संभावनाओं को पैदा किया है. इस के लिए जरूरी है, एक छात्र स्टार्टअप के रूप में मसालों का उत्पादन कर उस की पैकेजिंग करें और मार्केट में कंपनी बना कर खुद ही भेजें, जिस से बिचौलिए उन के बीच में नहीं होंगे और सीधा उत्पाद उपभोक्ता को मिलेगा. उस का सीधा लाभ खुद किसानों और स्टार्टअप कंपनी चलाने वालों को होगा. इस प्रशिक्षण के दौरान छात्रों को इस क्षेत्र में दक्ष बनाने के लिए कई कंपनियों से रूबरू कराया गया.

उन्होंने यह भी कहा कि छात्रछात्राएं इस तरह के प्रशिक्षणों का उपयोग भविष्य में रोजगार प्राप्त करने के लिए ही नहीं करेंगे, अपितु अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कराएंगे.

डा. बीआर सिंह, कुलसचिव द्वारा कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन में कहा गया कि छात्रछात्राएं अपना लक्ष्य निर्धारित करते हुए उसे पूरा करने का संकल्प लें. वहीं डा. बिजेंद्र सिंह, अधिष्ठाता उद्यान महाविद्यालय ने बताया कि 5 दिवसीय प्रशिक्षण में सभी मसाले वाली फसलों में मूल्य संवर्धन की व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी.

डा. सत्य प्रकाश कोर्स डायरेक्टर द्वारा बताया गया कि मसाले वाली फसलों के मूल्य संवर्धन का मकसद यह है कि जब फसलों की कटाई होती है, बाजार मूल्य कम होता है, परन्तु मूल्य संवर्धन कर के उन के मूल्य मे 4 से 5 गुना बढ़ोतरी की जा सकती है.

उद्घाटन सत्र के बाद डा. मनोज कुमार सिंह, सहप्राध्यापक उद्यान द्वारा लहसुन की उत्पादन तकनीकी इ. सुरेश चंद्रा, सहप्राध्यापक (पो. हा.) द्वारा लहसुन के मूल्य संवर्धन पर प्रशिक्षण देते हुए विभिन्न उत्पाद तैयार कराए गए.

डा. पूजा, वैज्ञानिक, केवीके द्वारा लहसुन के अचार एवं अन्य उत्पाद भी तैयार कराए गए, वहीं डा. विपिन कुमार, सहप्राध्यापक द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया.

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