मचान खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित रही है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान इसे अपना रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि किसान इसे सही तरह से करें, जिस से न केवल अच्छी फसल ले सकें बल्कि एकसाथ कई फसलें उगा सकते हैं.

लता वाली सब्जियों की फसलों को बांस या लकड़ी आदि के बने ढांचे पर चढ़ा कर खेती करने का रिवाज देश के हर हिस्से में है. उत्तरी और पूर्वी राज्यों में इसे मचान या मंडप कहते हैं.

जल विभाग ने इस तरीके में तकनीकी सुधार कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में मचान को बढ़ावा दिया, जो किसानों के लिए काफी लाभदायक रहा. वहां अब काफी किसानों द्वारा इस विधि से सब्जियों की खेती की जा रही है. इस तरीके से साल भर किसी न किसी सब्जी का उत्पादन होता रहता है और किसानों को नियमित रूप से आमदनी होती रहती है. छोटे किसान जिन के पास बहुत कम जमीन है, उन के लिए यह विधि काफी लाभदायक है. इस से प्रतिवर्ग मीटर करीब 70-80 रुपए की आमदनी मिल जाती है.

किसान 10-12 डेसीमल (500 वर्गमीटर) जमीन से 1 साल में 38-40 हजार रुपए की आय ले लेते हैं. सब्जियों की मचान विधि से खेती करने से 34,80,000 लीटर प्रति एकड़ पानी की बचत के साथसाथ 64 लीटर डीजल प्रति एकड़ की भी बचत होती है. साल 2015-16 में 667 किसानों ने 81.42 एकड़ में मचान विधि से सब्जियों की खेती कर के 3065 टन सब्जी का उत्पादन कर के 2.57 करोड़ रुपए की शुद्ध आय हासिल की है.

मचान बनाने का तरीका

जिस खेत में मचान बनाना हो, पहले ठीक से उस की जुताई कर के मिट्टी को समतल करें और 10 फुट लंबी व 3 फुट चौड़ी क्यारी बनाएं. क्यारी बनाते समय सिंचाई और पानी की निकासी के लिए नालियां बनाएं. जहां गरमी में सिंचाई का साधन न हो, वहां ड्रिप किट द्वारा सिंचाई करें.

क्यारी बनाने के बाद खेत में 6×6 फुट की कतारों में बांस या लकड़ी के खंभों को 6×6 फुट की दूरी पर डेढ़ से 2 फुट गहरे गड्ढे बना कर मजबूती से गाड़ें. खंभों की ऊंचाई करीब 6 फुट रखें, ताकि हवा और धूप पौधों को मिलती रहे.

मचान के अंदर चलने और काम करने में कोई दिक्कत न हो. सभी खंभों के ऊपरी सिरों को एक से दूसरे खंभे को जोड़ते हुए मोटे तार से बांध कर मिला दें. इस तरह बना मचान 3 से 4 सालों तक लगातार सब्जियों की लता वाली फसलों को चढ़ाने के काम आएगा. बीचबीच में कुछ मरम्मत करते हुए इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. कुछ किसान सीमेंट से बने खंभे भी इस्तेमाल करने लगे हैं.

10-12 डेसीमल (500 वर्गमीटर) मचान से 1 साल में 4 फसलों से करीब 58 क्विंटल सब्जी मिलती है, जिस से किसान को 38-40 हजार शुद्ध आय हासिल होती है. मचान के ज्यादातर किसान रासायनिक उर्वरकों और दवाओं का इस्तेमाल न कर के रसायनमुक्त सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं.

वे बीज बोने से पहले बीजों के शोधन व कीड़ों और रोगों से बचाव के लिए जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं जैसे कंपोस्ट/नाडेप, गोबर की खाद बीजामृत, धनजीवामृत, जीवामृत, नीम बीजों का घोल (एनएसकेई 5 फीसदी) आदि. इस तरह से खेती करने पर किसानों की लागत भी कम आती है और सब्जियों का मूल्य भी ज्यादा मिलता है.

मचान विधि से खेती करने के मुख्य आधार

फसलों को 2 स्तर पर एकसाथ उगाना यानी लता वाली एक फसल मचान पर चढ़ा कर और एक जमीन पर साथसाथ उगाना. जमीन के नीचे (गांठों या जड़ वाली) प्याज और जिमीकंद या छाया में भी हो जाने वाली अदरक या हलदी जैसी फसलें उगाना. एक फसल के काटने से पहले ही दूसरी फसल की बोआई या रोपाई करना. साल में कम से कम 2 जमीन पर और 2 मचान पर होने वाली (लता वाली) फसलें लेना.

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