बलिया : प्रो. रवि सुमन, कृषि एवं ग्रामीण विकास ट्रस्ट, मल्हनी के तत्वावधान में जिला उद्यान अधिकारी राम सिंह, केवीके, मल्हना के उद्यान वैज्ञानिक डा. रजनीश श्रीवास्तव, सस्य वैज्ञानिक डा. कमलेश मीना और ट्रस्ट के निदेशक, प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने सयुंक्त रूप से किसानों के कृषि क्षेत्र को देखा.

फव्वारा सिंचाई है लाभकारी

जिला उद्यान अधिकारी राम सिंह ने फव्वारा सिंचाई पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्प्रिंकलर सेट एक सिंचाई करने वाला उपकरण है, जिस का प्रयोग कृषि फसलों, सब्जियों और अन्य क्षेत्रों में सिंचाई हेतु किया जाता है. इस सयंत्र से सिंचाई का काम वर्षा के समान नियंत्रित तरीके से होता है.
इस सिंचाई यंत्र में पंप, वाल्व, पाइप और अन्य संयंत्र शामिल होते हैं. इस को लगाने के लिए 90 फीसदी तक की छूट है, केवल 10 फीसदी ही किसानों को खर्च करना होगा. प्रति एकड़ क्षेत्रफल में 10-15 हजार रुपए मात्र किसानों का खर्च आएगा, बाकी धनराशि उद्यान विभाग वहन करेगा.

डा. रजनीश श्रीवास्तव ने आलू की फसल में लगने वाले कीट व बीमारी पर प्रकाश डाला. प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने ट्रस्ट के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी दी और बताया कि क्षेत्र में हरी सब्जियों की उपलब्धता कम है, जिस से सब्जियां महंगी बिक रही हैं. इस पर सभी को मिल कर पोषण वाटिका के विकास पर कार्यक्रम तैयार करने की आवश्यकता है.

यदि किसानों के घर के आसपास खाली जमीन पर पोषण वाटिका तैयार कराई जाए तो अच्छा रहेगा. उद्यान विभाग पोषण वाटिका हेतु खरीफ, रबी एवं जायद की सब्जियों के बीज उपलब्ध कराए तो किसानों के साथसाथ प्राइमरी, मिडिल स्कूलों, इंटर कालेज में पोषण वाटिका का मौडल तैयार किया जा सकता है. साथ ही, स्कूल के आसपास सहजन की पौध लगाई जा सकती है, जिस की फली को मिड डे मील में डाल कर भोजन को और अधिक पौष्टिक बनाया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि ट्रस्ट द्वारा इस पर परियोजना तैयार की जाएगी. 10-12 किसानों के प्रक्षेत्र पर फव्वारा सिंचाई संयंत्र लगाने का सर्वे का काम हुआ है.
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