भागलपुर : सबौर कृषि विश्वविद्यालय बिहार के उद्यान में ड्रैगन फ्रूट परियोजना के अंतर्गत 4 प्रजातियों का पौधरोपण किया गया. ये प्रजातियां अपने रंग एवं पोषक तत्वों के आधार पर अपनी अलग पहचान बनाती हैं.
प्रमुख रूप से लाल छिलका, सफेद गूदा, जो कि राष्ट्रीय अजैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, बारामती, महाराष्ट्र से लाया गया है. गुलाबी छिलके, बैगनी गूदे वाली प्रजाति को केंद्रीय द्वितीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अंडमान व निकोबार से लाया गया है. इस के अतिरिक्त पीला छिलका और सफेद गूदे वाली प्रजाति को कांधल एग्रो फार्म लुधियाना से लाया गया है.
परियोजना के अंतर्गत इन चारों प्रजातियों का मूल्यांकन कृषि जलवायु क्षेत्र जोन 3-। के अंतर्गत किया जाना है. वर्तमान समय में बढ़ती हुई कुपोषण की समस्या को देखते हुए ड्रैगन फ्रूट अपने विशिष्ट पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, लोहा एवं फास्फोरस के समावेश होने से एक उत्तम फल है, जो कुपोषण की समस्या को कम करने में लाभकारी सिद्ध होगा.