सागर : सागर जिले में स्थित विश्वविद्यालय की घाटी पर बसा ग्राम रैयतवारी भैंसपालन और दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है. दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में संचालित मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

इसी क्रम में इस गांव में पशुपालन के साथसाथ बकरीपालन को भी प्राथमिकता दी जा रही है. यहां के अधिकांश घरों में कम से कम 2 से 3 बकरियां पाली जाती हैं. बड़े पशुओं की तुलना में बकरीपालन पशुपालकों के लिए माली रूप से काफी फायदेमंद है. बकरीपालन मजदूर, सीमांत और लघु किसानों में भी काफी लोकप्रिय है.

साल 2019 से राखी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी कांती यादव समूह से 50,000 रुपए और 80,000 रुपए का पशुपालन लोन ले चुकी हैं. इन के पास आज 25 से अधिक बकरियां पल रही हैं, यद्यपि उन के पास भैंस और गाय भी हैं.

इस के अलावा शांति यादव, पति किशोरी यादव साल 2018 से दीपक स्वसहायता समूह की सदस्य हैं. उन्होंने समूह से 35,000 रुपए का लोन लिया है, जिस से उन्होंने बकरीपालन की शुरुआत की.

इन दिनों उन के पास 15 बकरियां, 3 बकरे, 4 बकरी के बच्चे और दुधारू गाय हैं. वे बताती हैं कि बकरेबकरियों को पाल कर वे स्थानीय खरीदारों को बेच देती हैं. बड़े पशुओं के साथसाथ बिना अतिरिक्त मेहनत के बकरीपालन का काम आसानी से हो जाता है. इस से मिलने वाली खाद खेतों के लिए बहुपयोगी होती है. वयस्क नर के विक्रय के लिए बाजार आसानी से मिल जाता है. इस के अलावा कई बार कमजोर और अन्य उत्पादक बकरियां भी बेच दी जाती हैं. अब तक वे 48,000 रुपए की बकरियां बेच चुकी हैं .

इसी समूह की हरवो देवी यादव का परिवार पशुपालन पर ही पल रहा है. उन के परिवार में 3 बेटियां और 2 बेटे हैं. 2 बेटियों की शादी के बाद पूरा परिवार इसी काम में लगा है. उन्होंने समूह से पहले 25,000 रुपए और बाद में 50,000 रुपए का लोन लिया, जिस से गाय और बकरियां खरीदीं, कुछ पैसे खेती में भी लगाए. 35,000 रुपए में 3 बकरे बेचने के बाद इन के पास अब 8 दुधारू पशु हैं.

दुधारू गाय से रोज का 6 लिटर दूध भी बेचा जाता है, जिस से उन्हें दूध से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती है. कम आय वर्ग और छोटी जोत वाले किसानों के लिए बकरीपालन एक आमदनी पाने का एक उत्तम और सरल उपाय है.

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