पांढुरना : उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में आधुनिक खेती पद्धतियों ने किसानों को लखपति बना दिया है. पांढुरना जिले के ग्राम हिवरा खंडेरवार के किसान योमदेव कालबांडे ने भी परंपरागत खेती को छोड़ कर आधुनिक तकनीक अपनाई, जिस से उन की आमदनी बढ़ गई.

उद्यानिकी विभाग की तकनीकी सलाहों के आधार पर उन्हें संतरे और मौसंबी की खेती से 15 लाख रुपए की शुद्ध आय प्राप्त हुई है. किसान के द्वारा उन्नत तकनीकी से उद्यानिकी खेती करने पर उन्हें एनआरसीसी नागपुर के द्वारा “उत्कृष्ट संतरा उत्पादक किसान” से सम्मानित किया गया है.

किसान योमदेव कालबांडे पहले 40 हेक्टेयर कृषि भूमि में सदियों से चली आ रही परंपरागत खेती करते थे, लेकिन उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में उन्हें नया प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया गया, जिस से उन्होंने 25 हेक्टेयर भूमि में उद्यानिकी विभाग के विशेषज्ञों की सलाह पर संतरे और मौसंबी के 7,900 पौधे लगाए. इन पौधों को लगाने और उन की देखभाल करने में उन्होंने आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग किया. इन पौधों को लगाने और अन्य खर्चे पर उन्होंने लगभग 5 लाख रुपए खर्च किए.

अब किसान योमदेव कालबांडे का बागान फल देने लगा है. उन के बागान में 500 से अधिक पौधे फल देने लगे हैं और इन से उन्हें लगभग 20 लाख रुपए की आय हुई है.

इस तरह उद्यानिकी विभाग की तकनीकी सलाह से खेती करने पर उन्हें लगभग 15 लाख रुपए  का खालिस मुनाफा हुआ है.

किसान योमदेव कालबांडे की इस सफलता को देख कर दूसरे किसान भी आधुनिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. उन की मेहनत और लगन को देखते हुए और किसान द्वारा उन्नत तकनीकी से उद्यानिकी खेती करने पर एनआरसीसी, नागपुर ने उन्हें “उत्कृष्ट संतरा उत्पादक किसान” के सम्मान से सम्मानित किया है.

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