फाइकस कैरिका अंजीर का वैज्ञानिक नाम है. यह मोरैसी कुल का पौधा है. इस का पेड़ छोटा और पतझड़ी प्रकृति का होता है. इस की लंबाई 3 फुट से ले कर 10 फुट तक हो सकती है. यह फल रसीला और गूदेदार होता है जो अपने सौंदर्य, स्वाद और स्वास्थ्यवर्धक गुणों के चलते बहुपयोगी है.
पोषक तत्त्वों से भरपूर
* अंजीर में कैल्शियम, रेशा, आयरन व विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
* अंजीर पोटैशियम का अच्छा स्रोत है, जो ब्लड प्रेशर और ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करने में मदद करता है.
* अंजीर में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है.
* डायबिटीज के रोगियों को दूसरे फलों की तुलना में अंजीर का सेवन खासतौर से लाभकारी होता है.
* अंजीर के सेवन से मधुमेह, सर्दीजुकाम, दमा और अपच जैसी तमाम बीमारियों में भी फायदा होता है.
* अंजीर में मौजूद रेशे वजन को संतुलित रखते हुए मोटापे को कम रखते हैं. साथ ही, यह स्तन कैंसर की तकलीफों को दूर करने में मददगार है.
* सूखे अंजीर में फेनोल, ओमेगा 3, ओमेगा 6 पाया जाता?है. यह फैटी एसिड कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे को भी काफी हद तक कम करने में मददगार है.
अंजीर की खेती
इस की खेती भारत में राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में की जाती है.
विश्व स्तर पर इस की खेती दक्षिणी और पश्चिमी अमेरिका और मैडिटेरेनियन और उत्तरी अफ्रीकी देशों में की जाती है.
बरतें सावधानी
* पौधे हमेशा सरकारी नर्सरी या सरकारी विभाग या अन्य प्रमाणित संस्थान से ही खरीदें.
* निकटतम नर्सरी में जाएं या फिर किसी अच्छे कृषि वैज्ञानिक से सलाह लें कि आप की भौतिक परिस्थितियों के मुताबिक कौन सी किस्म अच्छी रहेगी.
* अंजीर के लिए गरम और उष्ण मौसम सब से बेहतर होता है. रेगिस्तानी परिस्थितियां अंजीर की अच्छी पैदावार के लिए अनुकूल मानी जाती हैं, इसलिए अंजीर की खास किस्में ज्यादातर ऐसे इलाकों में उगाई जाती हैं. कुछ ही किस्में ऐसी होती हैं जो कि 4 डिगरी सैल्सियस से भी कम तापमान में उगाई जाती हैं.
कैसी हो जलवायु?
अंजीर की खेती अलगअलग तरह की जलवायु में की जा सकती है. लेकिन अंजीर का पौधा गरम, सूखी और छायारहित उपोष्ण व शीतोष्ण परिस्थितियों में अच्छी तरह से फलताफूलता है.
अंजीर के पौधों के लिए सही तापमान
15 डिगरी से 20 डिगरी सैल्सियस होता है, लेकिन पौधा 45 डिगरी सैल्सियस तक के तापमान को आसानी से सहन कर लेता है. फल के विकास और परिपक्वता के समय वायुमंडल का शुष्क रहना बेहद जरूरी है. पर्णपाती पेड़ होने के चलते पाले का असर इस पर कम पड़ता है.
उपयुक्त जमीन : अंजीर को सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, पर अच्छे जल निकास वाली दोमट या मटियार दोमट मिट्टी, जिस का पीएच मान 7-8 हो, अच्छा है. अंजीर के पौधे सूखा और लवण सहनशील होते हैं.
उन्नत किस्में : पूना, इंडियन रौक, एलीफैंट ईयर, कृष्णा, विपिंग फिग, सफेद फिग वगैरह. इस के अलावा बीएफ 1, बीएफ 2 और बीएफ 3, स्ट्रेन बीएफ 3 (बढ़का) हैं. इन में से बीएफ 3 (बढ़का अंजीर) प्रजाति खास है. इस किस्म के फलों का वजन 36.8 ग्राम और घुलनशील ठोस पदार्थ की कुल मात्रा 18.8 डिगरी ब्रिक्स होती है. इस में दूसरी किस्मों की तुलना में पानी की मात्रा कम होने के कारण यह किस्म सुखाने के लिए भी काम में ली जाती है.
पौधे तैयार करना : अंजीर का प्रवर्धन हार्ड वुड कटिंग (कठोर काष्टिय कलम) द्वारा किया जाता है. अंजीर के पौधे आमतौर पर 1 से 2 सैंटीमीटर मोटी, 15 से 20 सैंटीमीटर लंबी परिपक्व कलमों द्वारा तैयार किए जाते हैं. कलम लेने के लिए 3 साल पुरानी शाखा को चुनते हैं. फरवरी से मार्च माह में जैसे ही तापमान बढ़ने लगता है, इन कलमों को 15×15 सैंटीमीटर की दूरी पर नर्सरी में रोप दिया जाता है.
अंजीर की नर्सरी की क्यारियों में प्रति वर्गमीटर 7 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद व 25 से 30 ग्राम फास्फोरस और 20 से 25 ग्राम पोटाश खाद क्यारी को तैयार करते समय डालनी चाहिए. नाइट्रोजन खाद 10 से 15 ग्राम प्रति वर्गमीटर कलमें रोपने के एक महीने बाद और इतनी ही मात्रा 2 महीने बाद डालनी चाहिए.
पौध रोपण : खेत की तैयारी करते समय खोदे गए गड्ढों में संतुलित खाद और उर्वरक डाल कर पौध रोपण करें. पौधों से पौधों की दूरी 5×5 मीटर सही रहती है और रोपण का समय दिसंबर से जनवरी या जुलाई से अगस्त होता है.
पौधो की संख्या : वर्गाकार विधि से एक हेक्टेयर यानी 4 बीघा में 5×5 मीटर की दूरी के हिसाब से 400 पौधे लगाए जा सकते हैं.
अंजीर की काटछांट : रोगग्रस्त और सूखी शाखाओं से फल तोड़ने के बाद भी काटछांट करते रहना चाहिए. दूसरे साल में गरमियों में पौधे की छंटाई करें क्योंकि पौधा लगाने के पहले साल में आप को इस की जरूरत नहीं पड़ेगी. वसंत मौसम में शाखाओं की 4-5 मजबूत टहनियों तक छंटाई करें जिस से कि पौधे की बढ़वार और विकास अच्छी तरह से हो सके.
अंजीर की सधाई : अंजीर के पौधों की सधाई इस तरह होनी चाहिए कि हर दिशा में इस का फैलाव बराबर हो और पौधे के हर हिस्से तक सूरज की रोशनी पहुंच सके. इस में फल 1 से 2 साल पुरानी टहनियों पर निकलने वाली नई शाखाओं पर लगते हैं इसलिए शुरू के सालों में इस तरह की टहनियों को बढ़ावा देना चाहिए. पुराने पेड़ों में भारी काटछांट फायदेमंद होती है.
सिंचाई : अंजीर को आमतौर पर ज्यादा पानी देने की जरूरत नहीं होती है. गरमी में 3 से 4 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 15 दिन के अंतराल पर बूंदबूंद सिंचाई विधि से पानी दें.
कीट और रोग : अंजीर में कीट व रोग का प्रकोप कम होता है, पर कुछ परिस्थितियों में पत्ते और छाल खाने वाले कीड़ों का हमला देखा गया है. इस के नियंत्रण के लिए 3 मिलीलिटर क्लोरोपाइरीफास प्रति लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करना फायदेमंद रहता है.
अंजीर में लगने वाली मुख्य बीमारी कंडुआ यानी रस्ट है इसलिए इस की रोकथाम के लिए डाईथेन जैड 78 का छिड़काव करें.
फलों का झड़ना : फलों को तोड़ने से पहले झड़ने से रोकने के लिए 30 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी के हिसाब से जिब्रेलिक एसिड का छिड़काव करें.
फलों की तुड़ाई : उपोष्ण क्षेत्रों में वसंत मौसम में आने वाले फल मई से अगस्त माह तक पक कर तैयार हो जाते हैं. फल पूरी तरह से पकने पर ही तुड़ाई करनी चाहिए क्योंकि पेड़ से तोड़ने के बाद फल नहीं पकेगा. पकी हुई अंजीर थोड़ी नरम और ऊपर गरदन की तरफ अंदर की ओर मुड़ी हुई दिखाई देती है.
अंजीर को तोड़ने के बाद एक बरतन में 400 से 500 ग्राम से ज्यादा फल नहीं रखने चाहिए. यदि ज्यादा मात्रा में फलों की तुड़ाई करनी हो तो फलों को पानी भरे बरतन में इकट्ठा करना चाहिए.
फल तोड़ते समय दस्ताने पहनें, जिस से पेड़ से निकलने वाला सैप यानी एक तरह का रस आप के हाथों पर न लगे. यह रस आप के शरीर में खुजली पैदा कर सकता है.
उपज : अंजीर का पेड़ 50 साल तक फल दे सकता है. यह 2 साल में फल देना शुरू कर देता है, लेकिन 3 साल बाद फल लेना शुरू करना चाहिए. 3 साल का पेड़ तकरीबन 3 किलोग्राम फल देता है. व्यावसायिक तौर पर सही फलोत्पादन 8 साल बाद शुरू होता है.
8 साल या इस से ज्यादा उम्र के पौधे से तकरीबन 18 किलोग्राम प्रति पौधा उपज हासिल होती है.
आय : बाजार में अंजीर 300-400 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकते हैं. पौधे लगाने के शुरुआती 5 साल तक अंतरासस्यन के रूप में मिर्च, बैगन, भिंडी और दलहनी फसलें उगा कर आमदनी ले सकते हैं.
सलाह
* पके हुए फलों को ध्यानपूर्वक तोड़ें क्योंकि यह कीड़ों और कीटपतंगों को आकर्षित कर सकते हैं.
* ऐसे उर्वरकों के प्रयोग से बचें जिन में नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा हो.
* अंजीर को 4-5 दिन तक धूप में रख कर या फिर 10 से 12 घंटे तक डीहाइड्रेटर में रख कर भी सुखाया जा सकता है. सूखी हुई अंजीर 6 महीने तक सुरक्षित रखनी जा सकती है.
* दक्षिण दिशा की ओर अंजीर उगाने से गरमी का फायदा मिलेगा जो अंजीर के पेड़ के लिए जरूरी है. ऐसा करने से पेड़ सर्दियों में संभावित जमाव से भी बचा रहेगा.